अध्यात्म

जानिये क्यों गणेश जी को तुलसी चढ़ाना होता है वर्जित, पढ़ें तुलसी ना चढ़ाने से जुड़ी ये कथा

पूजा करते हुए भगवानों को उनकी मनपसंद चीज जरूर अर्पित की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान को अगर उनकी पसंदीदा चीज अर्पित की जाए तो भगवान खुश होकर अपने भक्तों की हर प्रार्थन सुन लेते हैं। यही वजह है कि हम लोग जब भी भगवान विष्णु और उनके किसी भी अवतार की पूजा करते हैं, तो  तुलसी विशेष रूप से चढ़ाते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाना उत्तम माना जाता है। वहीं शिव जी की पूजा करते समय हम लोग उन्हें बेलपत्र जरूर अर्पित करते हैं। क्योंकि शिव भगवान को बेलपत्र अतिप्रिय है और शिव भगवान को बेलपत्र चढ़ाने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

हालांकि हम जब भी गणेश जी का पूजन करते हैं तो उनको तुलसी नहीं चढ़ाते हैं। दरअसल गणेश जी को तुलसी का पत्ता चढ़ाना वर्जित माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि अगर बप्पा को तुलसी का पत्ता (basil in hindi) चढ़ाया जाए, तो वो नाराज हो जाते हैं। वहीं गणेश जी को तुसली का पत्ता ना चढाने से एक कथा जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार तुलसी ने गणेश जी को और गणेश जी ने तुलसी एक श्राप दिया था।

क्या है कथा

कहा जाता है कि एक बार तुलसी गणेश जी से मिलने के लिए आई थी। गणेश जी से मिलने के बाद तुलसी ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा। लेकिन गणेश जी ने तुलसी के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और उनसे विवाह करने से मना कर दिया। गणेश जी के मना करने से तुलसी जी काफी क्रोधित हो गई और उन्होंने गुस्से में आकर गणेश जी को श्राप देते हुए कहा कि गणेश जी के दो विवाह होंगे।

तुलसी की और से दिए गए श्राप से गणेश जी काफी क्रोधित हो गए और उन्होंने भी गुस्से में तुलसी को श्राप दे दिया। गणेश जी ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह किसी एक असुर से होगा। गणेश जी द्वारा दिए गए इस श्राप को सुन तुलसी डर गई और तुलसी को अपनी गलती का एहसास हुआ। तुलसी ने गणेश जी से तुरंत माफी मांगी और उनसे कहा कि वो उन्हें दिया हुआ श्राप वापस ले लें। गणेश जी ने  तुलसी की माफी को स्वीकार कर लिया और तुलसी से कहा तुम्हारा विवाह किसी असुर से नहीं बल्कि शंखचूर्ण से होगा। तुम भगवान विष्णु को अति प्रिय होने के साथ साथ पूजनिय भी होंगी और तुम्हारी पूजा लोगों द्वारा की जाएगी। कलियुग में तुम मोक्ष देने का काम भी करोगी। लेकिन मेरी पूजा के दौरान तुम्हारा प्रयोग नहीं किया जाएगा।

यही कारण है कि जब भी हम लोग गणेश जी की पूजा करते हैं तो उनको तुलसी का पत्ता अर्पित नहीं करते हैं। हालांकि गणेश जी को दूर्वा की घास प्रिय है और पूजा के दौरान ये घास बप्पा को जरूर चढ़ाई जाती है। गणेश जी के अलावा शिव जी की पूजा करते समय भी उनको तुलसी और सिंदूर चढ़ना वर्जित माना जाता है और ऐसा करने से शिव भगवान नाराज हो जाते है। इसलिए आप भूलकर भी तुलसी ना ही गणेश जी और ना ही शिव जी भगवान को अर्पित करें।

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