स्लमडॉग मिलियनेयर मूवी जैसी है इस युवक की कहानी, अमेरिका पहुंच कर कमा रहा है लाखों रुपए
मुंबई की स्लम बस्ती में अपना जीवन गुजारने वाले जयकुमार आज अमेरिका की वजिनया यूनिविसर्टी में रिर्सच स्कॉलर के तौर पर काम कर रहे हैं। जयकुमार का जीवन किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं हैं। जयकुमार ने अपने बचपन से ही खूब संघर्ष किया है और आज जो मंजिल इन्होंने अपने जीवन में हासिल की है, उसे हासिल करने की चाह करोड़ लोग रखते हैं। बेहद ही गरीब परिवार से आने वाले जयकुमार आज जो भी बन पाए हैं उसके पीछे इनकी मां का बहुत बड़ा हाथ है।
मां को निकाल दिया था घर से
जयकुमार जब छोटे थे तब उनकी दादी और दादा ने उनकी मां को और उन्हें घर से निकाल दिया था। घर से निकाले जाने के कुछ साल बाद जयकुमार के पिता ने उनकी मां से तलाक ले लिया था। जयकुमार की सारी जिम्मेदारी उनकी मां के ऊपर आ गई थी। वहीं घर से निकाले जाने के बाद जयकुमार की मां अपनी मां के साथ रहने लगी। लेकिन जयकुमार की नानी की तबीयत अचानक से खराब हो गई। जिसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी जयकुमार की मां के कंधों पर आ गई।
निकाल गया स्कूल से
जयकुमार के अनुसार उनकी मां के पास इतने पैसे नहीं हुआ करते थे कि वो उनकी स्कूल की फीस भर सके। एक बार स्कूल की फीस ना भरने के कारण जयकुमार को स्कूल से भी निकाल दिया गया था। स्कूल से निकाले जाने के बाद जयकुमार की मां ने एक एनजीओ से मदद मांगी और एनजीओ की मदद से जयकुमार अपनी पढ़ाई जारी रख सके।
रिश्तेदारों ने नहीं की मदद
जयकुमार के मुताबिक जहां पर वो रहते थे वहां पर उनके कई सारे रिश्तेदारों के घर भी थे। लेकिन उनके बुरे वक्त में किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया और उनकी मदद नहीं की।
टी.वी की दुकान पर किया काम
जयकुमार के अनुसार जब वो छोटे थे तब उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वो स्कूल के बच्चों के साथ बाहर घूमने जा सकें। इसलिए जब भी स्कूल से कोई पिकनिक जाती थी तो जयकुमार उसमें अपना नाम नहीं लिखवाते थे। अपनी मां की मदद करने के लिए जयकुमार ने टी.वी की एक दुकान पर भी कई समय तक काम किया। इस दुकान में जयकुमार टीवी सही करने का कार्य किया करते थे और इन्हें हर महीने 4 हजार रूप वेतन के रूप में मिलते थे। इतना ही नहीं बच्चों के प्रोजक्ट करके भी जयकुमार पैसे कमाया करते थे ताकि वो घर चलाने में अपनी मां की मदद कर सकें।
मिलते हैं 2 हजार डॉलर
जयकुमार ने दिन-रात एक कर खूब पढ़ाई की और पढ़ाई की वजह से ही आज ये वजिनया यूनिविसर्टी में स्कॉलर के तौर पर कार्य कर रहे हैं। जयकुमार के अनुसार उन्हें यहां पर हर महीने 2000 डॉलर दिए जाते हैं। जिसमें से वो 1500 डॉलर अपनी मां को भेजा करते हैं। इस यूनिविसर्टी से अपनी पीएचडी की डिग्री हासिल करने के बाद जयकुमार का सपना भारत आकर अपनी खुद की एक कंपनी शुरू करना है।