अध्यात्म

सोशल मीडिया पर छाए 100KG चॉकलेट से बने गणेशजी, विसर्जन का अंदाज़ होगा सबसे अलग

‘गणपति बप्पा मोरिया’ ये नारे बीते सोमवार पुरे देश में गूँज रहे थे. वजह सभी जानते ही हैं. 2 सितंबर को गणेश उत्सव का शुभारंभ हो चूका हैं. दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में हर भक्त गणेश जी को प्रसन्न करने का प्रयास करेगा. इस दौरान जगह जगह गणेशजी की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. इस दौरान हमें कई अलग अलग अंदाज़ और स्टाइल वाले गणेशजी देखने को मिलते हैं. इसी कड़ी में एक गणेशजी ऐसे भी देखे गए जिन्हें मिट्टी से नहीं बल्कि चॉकलेट से बनाया गया हैं. आपको जान हैरानी होगी कि चॉकलेट वाले इन गणेशजी को बनाने के लिए 100 किलोग्राम से भी ज्यादा चॉकलेट का इस्तेमाल किया गया हैं.

चॉकलेट गणेशा बनाने में लगे 10 दिन

इस बात की जानकारी हरजिंदर सिंह कुकरेजा ने ट्विटर के जरिए दी हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में चॉकलेट गणेशा की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा हैं कि”‘चॉकलेट से बने इन गणेशजी को बनाने के लिए 20 शेफ्स और 10 दिन का समय लगा हैं. इन्हें बेल्जियन चॉकलेट से बनाया गया हैं. इसमें 100 किलोग्राम से भी ज्यादा चॉकलेट का उपयोग हुआ हैं.” आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चॉकलेट वाले ये गणेशा हरजिंदर सिंह पिछले चार वर्षों से बनाए जा रहे हैं.

इस अंदाज़ में होगा विसर्जन

जैसा कि आप सभी जानते हैं गणेशजी को स्थापित करने के दस दिनों बाद उनका विसर्जन भी होता हैं. कुछ लोग तीन दिन बाद भी विसर्जन कर देते हैं. हालाँकि इन चॉकलेट से बने गणेशजी का विसर्जन एक दिन बाद ही कर दिया जाता हैं. इसकी वजह ये हैं कि इनका विसर्जन दूध में होता हैं. इतना ही नहीं इस चॉकलेट वाले दूध को बाद में बच्चों को प्रसादी के रूप में दे दिया जाता हैं. चॉकलेट जल्दी ख़राब हो सकती हैं इसलिए इन गणेशजी को एक दिन बाद ही विसर्जित कर दिया जाता हैं.

जहाँ एक तरफ कई लोग इस कांसेप्ट की सराहना कर रहे हैं तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें ये आईडिया पसंद नहीं आया. उनके अनुसार भगवान को खाया कैसे जा सकता हैं? हालाँकि कुछ का यह भी कहना हैं कि प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बने गणेशजी की वजह से हर साल काफी जल प्रदुषण होता हैं. इसलिए ये तरीका अच्छा हैं.

इको फ्रेंडली गणेशा पर जोर

पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर एक मुहीम चल रही हैं. इसके अंतर्गत लोगो को सिर्फ इको फ्रेंडली गणेशा स्थापित करने की ही सलाह दी जा रही हैं. आमतौर पर इको फ्रेंडली गणेशा वे होते हैं जिन्हें विसर्जित करने के बाद जल प्रदुषण नहीं होता हैं. जैसे मिट्टी के बने गणेशजी बड़े ही पॉपुलर हैं. इन्हें आप आसानी से विसर्जित कर सकते हैं. इसी तरह फिटकरी और अन्य इको फ्रेंडली मटेरियल से बने गणेश जी भी अच्छे होते हैं. प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बने गणेशजी के विसर्जन के बाद सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान होता हैं. इनमे केमिकल वाले कलर्स भी इस्तेमाल होते हैं. ये पानी में ठीक से घुलते भी नहीं हैं. हर साल गणेश विसर्जन के बाद समुद्र तट पर कई ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं जिसमे गणेश जी खंडित हालत में और गंदगी में पाए जाते हैं. इसलिए गणेशजी के मान सम्मान की खातिर आपको सिर्फ इको फ्रेंडली जैसे मिट्टी के बने गणेशजी ही स्थापित करने चाहिए. ये पानी में जल्दी और आसानी से विलीन हो जाते हैं.

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