गणपति जी की पूजा करते समय बोल दें ये मंत्र, मिल जाएगी हर मनचाही चीज
गणपति जी की पूजा करने से हर कार्य सफल हो जाते हैं और गणपति जी हर किसी की मनोकामना को पूरा कर दते हैं। गणेश जी पूजा करते हुए आप नीचे बताए गए मंत्रों को बोल दें। नीचे बताए गए मंत्र काफी शक्तिशाली मंत्र माने जाते हैं और इन मंत्रों को पढ़ने से गणेश जी की कृपा बन जाती है।
गणेश जी से जुड़े हुए मंत्र –
1. ॐ श्री गणेशाय नम:।
2. ॐ गं गणपतये नम:।
3. ॐ वक्रतुण्डाय नम:।
4. ॐ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:।
5. ॐ विघ्नेश्वराय नम:।
6. गजाननं भूतगणादि सेवितं, कपित्थ जम्बूफलसार भक्षितम्।
उमासुतं शोक विनाशकारणं, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्।
7. ॐ सुमुखाय नम:।
8. वक्रतुण्ड महाकाय, सुर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नम् कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।
9 ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
10. ॐ गं नमः
11. गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:
12 ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा
13 .ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
बुधवार के दिन जरूर करें पूजा
गणेश जी की पूजा अगर बुधवार के दिन की जाए तो आसानी से हर मनचाही चीज मिल जाती है और हर कार्य सफल हो जाता है। क्योंकि बुधवार का दिन गणेश जी से जुड़ा हुआ होता है। बुधवार के दिन गणेश जी के मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इसलिए आप भी इस दिन भगवान गणेश की पूजा जरूर करें और पूजा करते समय उन्हें दुर्वा घास और मोदक जरूर अर्पित करें।
जाने जाते हैं कई नामों से
गणेश जी को कई नामों से जाना जाता है। इसलिए जब भी आप इनकी पूजा करें तो इनके सभी नामों को एक बार जरूर लें। वहीं गणेश जी को किन-किन नामों से जाना जाते हैं वो इस प्रकार है – गजानन, बप्पा, गजमुख, लंबोदर विघ्नहर्ता और गणपति।
इस तरह से करें पूजा
- गणेश जी की पूजा करते समय आप पूजा की थाली में लाल रंग का सिंदूर, एक घी का दीपक, भोग के लिए मोदक, 21 दूर्वा घास, एक पानी की गड़बी और चावल रख दें।
- आप सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति के सामने पानी की गड़बी को रख। फिर गणेश जी के माथे पर सिंदूर लगाएं और घी का दीपक जला दें।
- दीपक जलाने के बाद आप मोदक गणेश जी को अर्पित करें और उनके चरणों में दूर्वा घास को रख दें। ये करने के बाद आप गणेश से जुड़े मंत्रों को एक-एक कर के बोल दें।
- मंत्र बोलने के बाद आप गणेश जी से जुड़ी आरती गाएं और आरती पूरी होने के बाद मोदक को प्रसाद के रूप में बांट दें।
- आप गणेश चतुर्थी के 10 दिनों तक इसी तरह से गणपति जी की सेवन और उनकी पूजा करें।
- वहीं गणेश चतुर्थी के आखिर दिन आप गणपत्ति जी की मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दें।