श्री बजरंग बाण (Bajrang Baan) पाठ पढ़ने से दूर हो जाती हैं जीवन की हर परेशनियां
हनुमान जी को संकट मोचक कहा जाता है और हनुमान जी की पूजा करने से जीवन के हर दुख दूर हो जाते हैं। हनुमान जी से कई तरह के पाठ जुड़े हुए हैं और इन पाठों को पढ़ने से हनुमान जी की कृपा बन जाती है। श्री बजरंग बाण (Bajrang Baan) पाठ भी हनुमान जी के पाठों में से एक है और यह पाठ हनुमान जी को अति प्रिय माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस पाठ को पढ़ने से कोई भी कार्य पूर्ण हो जाता है और स्वयं हनुमान जी आपकी रक्षा करते हैं। हालांकि श्री बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करते समय कई तरह की बातों का ध्यान रखना होता है और यह बाते इस प्रकार हैं।
श्री बजरंग बाण पाठ से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
- श्री बजरंग बाण (Bajrang Baan) हनुमान जी से जुड़ा हुआ स्तोत्र है। इसलिए आप इस पाठ को मंगलवार के दिन ही पढ़ें। क्योंकि मंगलवार का दिन हनुमान जी का होता है।
- श्री बजरंग बाण का पाठ आप अपने पूजा घर या हनुमान जी के मंदिर में जाकर कर सकते हैं। दरअसल इस पाठ को अगर हनुमान जी की मूर्ति के सामने बैठकर किया जाए तो उत्तम होता है।
- श्री बजरंग बाण (Bajrang Baan) पाठ को आप शाम के समय करें और इस पाठ को करते समय हर शब्द का सही से उच्चारण जरूर करें। गलत उच्चारण करने से इस पाठ का लाभ नहीं मिलता है।
- इस पाठ को करते समय आप अपने पास एक दीपक जला दें और पाठ खत्म होने पर आप इसकी किताब मंदिर में वापस रख दें।
- आप चाहें तो इस पाठ को हर रोज पढ़ सकते हैं। हालांकि आप इस पाठ को पढ़ने की शुरूआत मंगलवार के दिन से ही करें।
श्री बजरंग बाण का पाठ करने से मिलते हैं यह लाभ
- श्री बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं और हर परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
- जिन लोगों पर शनि की बुरी दिशा चल रही है अगर वो लोग यह पाठ करते हैं, तो शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है।
- बुरे सपने अपने पर और आत्मविश्वास की कमी होने पर आप इस पाठ को करे।
- किसी चीज का अगर भय आपको सता रहा है तो श्री बजरंग बाण (Bajrang Baan) का पाठ करना उत्तम होता है और इसका पाठ करने से भय से आपको मुक्ति मिल जाती है।
- अगर आपका कोई कार्य पूर्ण नहीं हो रहा है तो आप इस पाठ को पढ़ लें। इस पाठ को पढ़ने से आपके कार्य के सफल होने के दौरान जो बाधाएं आ रही होगी हनुमान जी उसे दूर कर देंगे।
श्री बजरंग बाण पाठ इस प्रकार है (Bajrang Baan)
दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥
जय हनुमन्त संत हितकारी | सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ||
जन के काज बिलम्ब न कीजै | आतुर दौरि महासुख दीजै ||
जैसे कूदी सिन्धु महि पारा | सुरसा बदन पैठी विस्तारा ||
आगे जाय लंकिनी रोका | मोरेहु लात गई सुर लोका ||
जाय विभीषण को सुख दीन्हा | सीता निरखि परम-पद लीना ||
बाग़ उजारि सिन्धु मह बोरा | अति आतुर जमकातर तोरा ||
अक्षय कुमार मारि संहारा | लूम लपेटि लंक को जारा ||
लाह समान लंक जरि गई | जय-जय धुनि सुरपुर में भई ||
अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी | कृपा करहु उर अन्तर्यामी ||
जय जय लखन प्रान के दाता | आतुर होई दु:ख करहु निपाता ||
जै गिरिधर जै जै सुख सागर | सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले | बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहि मारो | महाराज प्रभु दास उबारो ||
ॐकार हुंकार महा प्रभु धाओ | बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ||
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा | ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा॥
सत्य होहु हरी शपथ पायके | राम दूत धरु मारू जायके
जय जय जय हनुमन्त अगाधा | दुःख पावत जन केहि अपराधा ||
पूजा जप-तप नेम अचारा | नहिं जानत हो दास तुम्हारा ||
वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं | तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ||
पायं परौं कर जोरी मनावौं | येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ||
जय अन्जनी कुमार बलवंता | शंकर सुवन वीर हनुमंता ||
बदन कराल काल कुलघालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक ||
भूत प्रेत पिसाच निसाचर। अगिन वैताल काल मारी मर ||
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की | राखउ नाथ मरजाद नाम की ||
जनकसुता हरि दास कहावो | ताकी शपथ विलम्ब न लावो ||
जै जै जै धुनि होत अकासा | सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ||
चरण शरण कर जोरि मनावौं | यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ||
उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई | पायँ परौं, कर जोरि मनाई ||
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता | ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ||
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल | ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ||
अपने जन को तुरत उबारौ | सुमिरत होय आनंद हमारौ ||
यह बजरंग बाण जेहि मारै| ताहि कहो फिर कोन उबारै ||
पाठ करै बजरंग बाण की | हनुमत रक्षा करैं प्रान की ||
यह बजरंग बाण जो जापैं | ताते भूत-प्रेत सब कापैं ||
धूप देय अरु जपै हमेशा | ताके तन नहिं रहै कलेसा ||
दोहा : प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान |
तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ||
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