‘पल पल दिल के पास’ से डेब्यू करेंगे करन, बच्चे कहते थे- तुम सनी देओल के बेटे हो तो लड़ कर दिखाओ’
90 के दौर में सनी देओल फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार हुआ करते थे. उन्होंने उस दौर में ज़िद्दी, घातक, बॉर्डर और ग़दर जैसी कई हिट फिल्में दी हैं. लेकिन अब उनकी स्टारडम जैसे कहीं गुम सी गयी है. सनी देओल ने भी साल 2011 में अपनी आखिरी हिट फिल्म ‘यमला पगला दीवाना’ दी थी. इसके बाद उन्होंने कई एक्शन फिल्मों में काम किया लेकिन उन्हें पहले जैसी सफलता हासिल नहीं हुई. हालांकि आज सनी के पास पैसों की कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी वह सादा जीवन जीने में यकीन रखते हैं. बता दें, सनी की उम्र 62 साल हो गयी है और इस उम्र में भी वह बहुत फिट दिखते हैं. लेकिन आज के इस पोस्ट में हम सनी देओल के बेटे करण देओल के बारे में बात करेंगे जो आजकल मीडिया की हेडलाइंस बने हुए हैं.
‘पल पल दिल के पास’ से डेब्यू करेंगे करण देओल
इन दिनों सनी देओल के बेटे करण देओल बॉलीवुड में अपने डेब्यू को लेकर मीडिया में छाये हुए हैं. बता दें, करण देओल जल्द ही अपने पिता द्वारा निर्देशित और निर्मित फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ में नजर आने वाले हैं. 20 सितंबर को यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर रिलीज़ हो रही है. हाल ही में करण ने एक इंटरव्यू दिया जहां उन्होंने बताया कि स्कूल में स्टारकिड होने की वजह से उन्हें भारी खामियाजा भुगतना पड़ा था. स्कूल में बच्चे उन्हें जज करते थे और उनका मजाक भी उड़ाते थे. करण ने बताया कि स्कूल के बच्चे उन्हें परेशान करते थे और धमकियां भी देते थे.
कहा- स्कूल में बनता था मजाक
एक इंटरव्यू में करण ने बताया कि, “मेरे स्कूल की पहली बुरी याद थी, पहली कक्षा में, हमारे बीच खेल प्रतियोगिता थी और में एक दौड़ में भाग ले रहा था. मैं वहां खड़ा था, जब अचानक कुछ बड़े लड़कों ने मुझे घेर लिया. उनमें से एक ने मुझे उठा लिया और सबके सामने मुझे नीचे पटक दिया. उन्होंने फिर मुझसे पूछा, ‘’तुम सनी देओल के बेटे हो’? वापस लड़ भी नहीं सकते. मैं उस वक्त बहुत शर्मिंदा था”.
करण ने आगे बताते हुए कहा, “यह उनके लिए आसान नहीं था. ज्यादातर बच्चे या तो मुझे जज करते थे या मेरा मजाक उड़ाते थे. यहां तक कि शिक्षक भी ऐसा ही करते थे. एक बार जब मैंने असाइनमेंट में अच्छा नहीं किया तो एक शिक्षक मेरे पास आया और क्लास के बीच में कहा, “तुम बस अपने पिता के चेक लिखने में सक्षम हो, और किसी काम में नहीं. मेरा दिल टूट गया था”.
मां ने दिया सहारा
करण ने बताया कि इन सब चीजों से बाहर आने के लिए उन्हें घर पर सहारा मिलता था. उनकी मां ने इस सिचुएशन में उनकी बहुत मदद की. करण ने कहा कि, “मेरी मां इस सब के बीच मेरा एकमात्र सहारा थीं, वह मुझे समझाती रहीं. यह कठिन था लेकिन मुझे खुद के लिए खड़ा होना था और हार मानने और पीछे हटने की बजाय जवाब देना था. मुझे यह समझना था कि कोई और नहीं बल्कि मुझे अपनी इमेज तय करने का अधिकार है”.
इस वाकये ने बदली जिंदगी
करण ने कहा कि उनकी लाइफ में टर्निंग पॉइंट तब आया था जब मेरे स्कूल में प्रतिभा प्रतियोगिता होनी थी और मैंने उसमें भाग लिया था. मैं समझ गया था कि यही खुद को साबित करने का मौका है. मैंने पूरी रात जागकर एक रैप तैयार किया. क्योंकि इसी एकमात्र चीज में मैं अच्छा था. प्रतियोगिता वाले दिन मैं स्टेज पर गया और सबकी निगाहें मुझ पर थी. मैंने एक गहरी सांस लेकर रैप शुरू किया और अपने दिल का प्रदर्शन किया. दर्शकों को मेरा रैप पसंद आया और उन्होंने मुझे काफी चीयर किया. इसके बाद जाकर मुझे मुक्ति का अहसास हुआ. तब जाकर लगा कि मैं बंधनों से आख़िरकार मुक्त हो गया हूं. इसमें समय जरूर लगा लेकिन उस पल से मेरी जिंदगी बदल गयी.
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