पीपल के पेड़ की इस तरह से करें पूजा, मिल जाएगी हर मनचाही चीज
हिंदू धर्म में कई पेड़ों को बेहद ही पवित्र बताया गया है और इन पेड़ों की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना उत्तम होता है और इस पेड़ की पूजा करने से सभी अटके कार्य पूर्ण हो जाते हैं। वहीं विज्ञान में भी पीपल के पेड़ को खास माना जाता है क्योंकि यही मात्र एक ऐसा पेड़ है जो कि रात के समय भी ऑक्सीजन उत्सर्जित करता रहता है। वहीं पीपल के पेड़ से एक कथा भी जुड़ी हुई है और ये कथा इस प्रकार है।
पीपल के पेड़ से जुड़ी कथा
ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी मां से पहले उनकी बहन दरिद्रा उत्पन्न हुई थी। लेकिन विष्णु जी ने दरिद्रा की जगह लक्ष्मी मां से विवाह कर लिया। जिसकी वजह से दरिद्रा नाराज हो गई। दरिद्रा की नाराजगी दूर करने के लिए विष्णु जी ने उनसे वादा किया और कहा कि तुम आज से मेरे प्रिय पेड़ पीपल पर वास करोगी और हर शनिवार के दिन मेंं तुम्हारी बहन लक्ष्मी के साथ तुमसे मिलने के लिए आऊंगा। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि इस पेड़ पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का निवास हैं और इस पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। शनिवार के दिन इस पेड़ की पूजा करने से, इसके सामने दीया जलाने से और इस पेड़ को जल अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्त होती है।
इस तरह से करें पीपल के पेड़ की पूजा विधि
पीपल के पेड़ की पूजा अगर सच्चे मन से और नियमों के तहत की जाए तो आपको हर मनचाही चीज मिल सकती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस पेड़ की जड़ों पर गाय का दूध अर्पित करते हैं उन लोगों के सभी कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाते है। तो आइए जानते हैं कि किस तरह से इस पेड़ की पूजा की जानी चाहिए।
- आप शनिवार के दिन सुबह नहाने के बाद एक लोटे में थोड़ा सा गया का दूध डाल लें। फिर इसे पानी से भर लें। इसके बाद आप इस लोटे के अंदर थोड़े से तिल और चंदन का पाउडर डाल दें।
- पीपल के पेड़ के सामने सबसे पहले एक घी का दीपक जला दें। फिर इस पेड़ की जड़ों को पानी चढ़ा दें। ये करने के बाद आप एक इस पेड़ के पास बैठकर इस मंत्र को पढ़ें-
मंत्र :
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे।
अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
- मंत्र पढ़ने के बाद आप इस पेड़ की परिक्रमा करें और परिक्रमा पूरी करने के बाद आप विष्णु जी की आरती करें।
- हर शनिवार आप इसी तरह से इस पेड़ की पूजा करें। हालांकि आप इस बात का ध्यान रखें की आप इस पेड़ की पूजा रात के समय ना करें और हमेशा दिन में 12 बजे से पहले ही इस पर पर जल अर्पित करें। वहीं आप चाहें तो हर रोज भी इस पेड़ को जल अर्पित कर सकते हैं।