महिलाओं के लिए जरूरी होती है हरितालिका तीज, जानिए इसका मुहूर्त, विधी और महत्व
भारतीय महिलाओं में एक अलग ही क्रेज अपने पति के लिए होता है जो उनके लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा रखती हैं। पति की लंबी उम्र के लिए ना जाने कितने व्रत और बेटों की लंबी उम्र के लिए कई पूजा-पाठ करती हैं। इसके लिए वे भूखे-प्यासे भी रह सकती हैं और दिखा देती हैं कि उनके लिए परिवार से बढ़कर कुछ भी नहीं है। हरितालिका तीज का व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है और इस निर्जल व्रत को महिलाएं अपने पति की सलामती, संतान के स्वास्थ्य और परिवार की खुशियों के लिए करती है। महिलाओं के लिए जरूरी होती है हरितालिका तीज, मगर क्या आप जानते हैं इस बार ये किस दिन होने वाला है ?
महिलाओं के लिए जरूरी होती है हरितालिका तीज
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से हरतालिका तीज भाद्रपद यानी कि भादो महीने की शुक्ल पक्ष तृतिया को मनाई जाती है। यह तीज भादो महीने की गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले होता है और ग्रेगारियन कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज हर साल अगस्त या सितंबर महीने में ही होता है। इस बार 1 सिंतबर को ये व्रत रखा जाएगा और इसी दिन भर तृतीया रहेगी और तर्क ये भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्त नक्षत्र में किया जाना चाहिए। ऐसे में दो सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सांयकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्त है। हरितालिका तीज का व्रत बहुत ही कठिन होता है और इसमें महिलाएं 24 घंटे का व्रत रखती हैं और अगले दिन पूजा करने के बाद ही व्रत खोलती हैं। इस निर्जला व्रत को करते समय महिलाओं के मन में पति की सलामती की बातें रहती हैं। ऐसी मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिल जाता है। ये त्यौहार मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है।
सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का सबसे खास महत्व होता है। हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बनता है जो हरत और आलिका है। इसका मतलब अपहरण और सहेली। प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उनहें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं जिससे उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह ना हो सके। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती है और उनका विश्वास हरतालिका तीज में बहुत गहरा है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य रहने का वरदान देते हैं और कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर देते हैं।
1 सितंबर को सुबह 8 बजकर 27 मिनट से 35 मिनट तक का मुहूर्त खास है। अगर आप 2 सितंबर को व्रत रख रही हैं तो सूर्योदय होने के बाद दो घंटे के अंदर पूजन कर लें और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से सुबह 8 बजकर 58 मिनट पर होगा। सुबह उठकर स्नान करके माता पार्वती का ध्यान रखने के बाद आपको पूरे दिन रात का इंतजार करना चाहिए। पूजा की तैयारी और खुद के श्रृंगार में महिलाओं का समय बीत जाता है। इसके बाद रात में पूजन करके कीर्तन और भजन करती हैं और फिर अगली सुबह पूजा करने के बाद अपना व्रत खोल देती हैं।