अध्यात्म

30 अगस्त को है कुशग्रहणी अमावस्या, इस दिन करें ये काम, हो जाएंगी मनोकामना सफल

भाद्रपद मास में आने वाली अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहा जाता है और कुशग्रहणी अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म करना उत्तम माना जाता है। इस बार ये अमावस्या 30 अगस्त को आ रही है और आप इस दिन अपने पूर्वजों का श्राद्ध जरूर करें। श्राद्ध करने के अलावा इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना भी उत्तम माना जाता है और ऐसा करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।

क्यों कहा जाता है इसे कुशग्रहणी अमावस्या

कुशग्रहणी अमावस्या के दिन कुश नामक घास को संग्रह किया जाता है और इसलिए इस अमावस्या को कुशग्रहणी के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस अमावस्या के दिन किसी भी तरह का धार्मिक कार्य किए जाने के दौरान  कुश  घास का प्रयोग जरूर किया जाना चाहिए। दरअसल हमारे शास्त्रों में दस प्रकार के कुशों का उल्लेख मिलता है और इस दिन आप इन दस तरह की कुशों घासों में से किसी भी घास का प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि आप इस बात का ध्यान रखें की जिस कुश घास का आप प्रयोग कर रहे हैं वो एकदम साफ हो और उसका कोई भी भाग कटा हुआ ना हो। साथ में ही वो एकदम हरी हो और कही से भी सूखी हुई ना हो। क्योंकि भगवान को हमेशा एकदम साफ कुश घास ही अर्पित की जाती है।

सूर्योदय के समय तोड़े घास

कुश घास को आप केवल सूर्योदय के समय ही तोड़े। रात के समय इस घास को तोड़ना सही नहीं माना जाता है। कई लोग इस घास को सूखाकर इससे आसन भी बनाते हैं और इस आसन पर बैठकर पूजा करते हैं। जबकि कई लोग पूजा करते समय इस घास की अंगूठी बना उसे अनामिक उंगली में घारण करते हैं।

कुश का धार्मिक महत्व

हमारे शास्त्रों के अनुसार अगर पूजा करते समय कुश घास का प्रयोग किया जाए तो हमारी पूजा सफल होती है। वहीं कुश घास के आसन पर बैठकर अगर  पूजा-पाठ किया जाए को हमारे शरीर के अंदर ऊर्जा बढ़ जाती है। इतना ही नहीं कुश के आसन पर बैठकर पूजन करने से या मंत्रों का जाप करने से सिद्ध प्राप्ति होती है। इसलिए आप कुशग्रहणी अमावस्या के दिन पूजा पाठ करते समय केवल कुश घास के बनें आसन पर ही बैठें।

कुशग्रहणी अमावस्या के दिन करें ये काम

  • कुशग्रहणी अमावस्या के दिन आप देवी लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु जी की एक साथ पूजा जरूर करें और पूजा शुरू करने से पहले विष्णु भगवान का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें।
  • इस दिन शाम के समय आप मंदिर में जाकर हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक भी जरूर जलाएं और दीपक जलाने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • सुबह के समय पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और इस पेड़ की पूजा भी करें। पूजा करने के बाद आप इस पेड़ की सात परिक्रमा करें और इसके पास एक घी का दीपक जला दें।
  • कुशग्रहणी अमावस्या के दिन शिवलिंग पर सुबह के समय जल भी जरूर चढ़ाएं और मंदिर के बाहर बैठे गरीब लोगों को पैसे दान में दें।

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