दादा कोर्ट में करते थे चौकीदारी, पिता हैं कोर्ट में ड्राईवर, बेटे को बनाया जज
कहते हैं सपने तभी पुरे होते हैं जब उन्हें देखा जाए. एक बार आप अपने सपनो को सच साबित करने की ठान लेते हैं तो आपको रोक पाना नामुमकिन होता हैं. मेहनत, लगन और हौसला ही किसी भी सपने को पूरा करने की कुंजी हैं. आपके हालात चाहे जैसे हो यदि आप बिना हार माने लगातार कोशिश करते रहते हैं तो सफलता एक दिन आपके कदम जरूर चूमती हैं. इस बात को मध्य प्रदेश के शहर इंदौर में रहने वाले चेतन बजाड़ ने साबित कर दिया हैं. चेतन कई लोगो के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बन गए हैं. दरअसल 26 वर्षीय चेतन ने सिविल जज क्लास-II रिक्रूटमेंट टेस्ट में पास हो गए हैं.
हालाँकि ये उनके लिए इतना आसान भी नहीं था. चेतन बताते हैं कि ये उनका चौथा प्रयास था. पिता के सपोर्ट ने उन्हें सबसे ज्यादा हौसला दिया हैं. पहली बार असफल होने पर वे निराश होकर हार मानने लगे थे लेकिन पिता गोवर्धनलाल बजाड़ ने उसे हिम्मत दी और कोशिश करते रहने को कहा. दिलचस्प बात ये हैं कि चेतन के पिता और दादा दोनों का ही कोर्ट से पुराना नाता रहा हैं. पिता गोवर्धनलाल इंदौर जिला के अदालत में ड्राईवर हैं जबकि उनके दादा हरिराम बजाड़ इसी अदालत में चौकीदारी किया करते थे. हालाँकि वर्तमान में वे रिटायर हो चुके हैं.
गोवर्धनलाल बजाड़ के तीन बच्चे हैं. उनका सपना था कि एक बेटा जज की कुर्सी पर जरूर बैठे. ऐसे में ये सपना पूरा करने का बीड़ा चेतन ने उठा लिया. उसने सबसे पहले कानून में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद वो जज बनने की तैयारी करने लगा. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जबलपुर एग्जामिनेशन सेंटर द्वारा जारी प्रोवीजनल सेलेक्शन लिस्ट में चेतन ने 450 मार्क्स में से 257.5 अंक हासिल किए हैं. ओबीसी कैटेगरी में उन्हें तेर्वी रैंक हासिल हुई हैं.
चेतन हमेशा से अपने पापा को ही अपना आदर्श मानते आए हैं. उन्होंने पिता से प्रेरणा लेते हुए ही कानूनी फिल्ड में करियर बनाने की ठानी थी. आज बेटे की इस कामयाबी से पिता का सीना गर्व से फूल गया हैं. उनके परिवार में हर कोई चेतन के जज बनने से बहुत खुश हैं. उधर सोशल मीडिया पर भी चेतन की सफलता की ये कहानी वायरल हो रही हैं. कई लोग अब चेतन को अपना आदर्श मानते हुए अपने सपनो को पूरा करने में जूट गए हैं. चेतन का कहना हैं कि जब वे जज बनेंगे तो उनकी पहली प्राथमिकता यही होगी कि लोगो को जल्द से जल्द न्याय हासिल हो सके. अक्सर लोग महीनो या फिर सालो कोर्ट के चक्कर लगाते लगाते थक जाते हैं. इसलिए वो इस स्थिति में थोड़ा सुधार लाना चाहते हैं.
चेतन ने इस बात को साबित कर दिया कि यदि आप सफलता का स्वाद चखना चाहते हैं तो सारे बहाने बेकार हैं. आपको अपने मौजूदा संसाधनों में ही धीरे धीरे आगे बढ़ते रहना चाहिए. एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब आपके सपनो को उड़ान के पंख मिलेंगे और आप उंचाई पर पहुँच जाएंगे. हमारी और से चेतन को जज बनने की ढेर साड़ी बधाईयाँ.
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