पुत्र की लंबी आयु के लिए जरूर रखें ‘हर छठ’ का व्रत, इस तरह से रखें हर छठ व्रत
हर छठ व्रत को हल षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है और ये व्रत हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन आता है। इस व्रत को रखने से पुत्र की प्राप्ति होती है और जीवन के हर कार्य पूर्ण हो जाते हैं। ये व्रत इस साल 21 अगस्त के दिन आ रहा है। इसलिए जो लोग पुत्र चाहते हैं वो इस व्रत को जरूर करें। पंडितों के अनुसार इस व्रत को करने से मनचाही चीज हासिल हो जाती है।
हर छठ व्रत से जुड़ी जानकारी
दरअसल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन ही भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जी का जन्म हुआ था और हर छठ व्रत को श्री बलराम जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग बलराम जी की पूजा करते हैं और महिलाएं इस दिन बलराम जी से कामना करती हैें कि वो उनके बच्चों की रक्षा करें। इस व्रत को करने से कई तरह के नियम जुड़े हुए हैं और अगर आप ये व्रत करना चाहते हैं तो इन नियमों का पालन जरूर करें।
हर छठ व्रत से जुड़े नियम
- इस दिन खेतों में काम करना सही नहीं माना जाता है। इसलिए इस व्रत वाले दिन आप किसी भी तरह की खेती ना करें। साथ में ही इस दिन महिलाओं को खेत में कदम भी नहीं रखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अगर महिलाएं इस दिन खेतों में कदम रख देती हैं तो खेत में फसल नहीं होती है।
- हर छठ के दिन गाय की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन गाय का दूध या घी का सेवन करना वर्जित होता है। इसके अलावा आप इस दिन किसी जानवर को भी ना हानि पहुंचाए।
इस तरह से रखें ये व्रत
- हर छठ व्रत के दिन आप सुबह उठकर स्नान करें और उसके बाद हल की पूजा करें। इस दिन हल की पूजा करना अनिवार्य होता है। हल के साथ साथ आप इस दिन जमीन यानी धरती मां की पूजा भी करें।
- जिन महिलाओं को पुत्र हैं वो महिलाएं इस व्रत को जरूर रखा करें। ये व्रत रखने से पुत्र की आयु बढ़ जाती है और पुत्र को जीवन में किसी भी तरह के कष्ट का सामना भी नहीं करना पड़ता है। इस दिन व्रत रखते समय महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु का संक्लप करें।
- ये निर्जला व्रत होता है और इस व्रत के दौरान किसी भी चीजा का सेवन नहीं किया जाता है और अगले दिन पूजा करने के बाद ही खाना खाया जाता है।
- इस दिन हवन करना भी उत्तम माना जाता है। इसलिए आप चाहें तो इस दिन हवन भी कर सकते है और हवन के दौरान मक्खन का प्रयोग भी जरूर करें। वहीं हवन खत्म होने के बाद नीचे बताया गया मंत्र पढ़ें। इस मंत्र को पढ़ने के बाद आपका ये व्रत सफल हो जाएगा।
अंत में निम्न मंत्र से प्रार्थना करें : –
गंगाद्वारे कुशावर्ते विल्वके नीलेपर्वते।
स्नात्वा कनखले देवि हरं लब्धवती पतिम्॥
ललिते सुभगे देवि-सुखसौभाग्य दायिनि।
अनन्तं देहि सौभाग्यं मह्यं, तुभ्यं नमो नमः॥