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जन्माष्टमी पूजा: श्रीकृष्ण को प्रिय हैं ये 8 चीजें, इन्हें पूजा में अवश्य करे शामिल

जन्माष्टमी के पावन अवसर पर हर कोई भगवान कृष्ण को मानाने में लग जाता हैं. इस बार देश के अलग अलग हिस्सों में 23 और 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जा रही है. इस त्यौहार पर श्रीकृष्ण की पूजा और श्रृंगार का बड़ा ही महत्त्व माना जाता हैं. इसके बिना कृष्णजी की पूजा अधूरी होती हैं. ऐसे में हम आपको 8 ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आपको जन्माष्टमी पर कृष्ण पूजा के दौरान अवश्य शामिल करना चाहिए.

मोरपंख:

मोरपंख कृष्ण और राधा के प्रेम की निशानी माना जाता हैं. राधा के महल में बहुत मोर हुआ करते थे. श्रीकृष्ण जब बासुरी बजाते थे तो राधा रानी नाचती थी और मोर भी उनके पीछे नृत्य करते थे. एक बार मोर का पंख जमीन पर गिर गया तो कृष्णजी ने उसे अपने मष्ट पर लगा लिया. बस तभी से कृष्ण और मोरपंख का साथ हो गया. जन्माष्टमी पर कृष्णजी को मोरपंख से हवा भी दी जाती हैं.

मोर मुकुट:

कृष्णजी के श्रृंगार में मोरमुकुट अवश्य लगाना चाहिए. ऐसा कहा जाता हैं कि श्रीकृष्ण की कुंडली में सर्प दोष था जिसे दूर करने के लिए वे अपने मुकुट में सदौव मोरपंख लगाते थे. मोर और सर्प एक दुसरे के शत्रु होते हैं. इसे लगाने से कालसर्प दोष दूर होता हैं.

बांसुरी:

जब कृष्णजी मधुर धुन के साथ बांसुरी बजाना शुरू करते थे तो ना सिर्फ गोपियाँ बल्कि गायें भी उनकी और खीची चली आती थी. इस बांसुरी को प्रेम और आनंद का प्रतिक माना जाता हैं. इसलिए इसे भी पूजा में शामिल करना चाहिए.

माखन-मिश्री:

भगवान कृष्ण को माखन कितना प्रिय हैं ये तो सभी जानते हैं. बचपन में वे गोपियों की मटकी से माखन चुरा कर खाया करते थे. इस कारण उन्हें माखनचोर भी कहा जाने लगा. ऐसे में कृष्णजी को प्रसाद में माखन मिश्री का भोग अवश्य लगता हैं.

झूला:

जन्माष्टमी के दिन हम सभी भगवान श्रीकृष्ण का जन्म सेलिब्रेट करते हैं. इसलिए उन्हें पालने या झूले में बच्चे की तरह बैठाया जाता हैं. उन्हें इस झूले में आनंद आता हैं. जो व्यक्ति कृष्णजी को जन्माष्टमी के दिन झुला देता हैं उसे सुख और भाग्य की प्राप्ति होती हैं.

नए कपड़े:

जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को पहले पंचामृत से नहलाया जाता हैं और फिर उन्हें नए कपड़े पहनाए जाते हैं. इसमें कपड़ो का रंग पीला हो तो बहुत शुभ माना जाता हैं. ये प्रेम और वैराग्य को दर्शाते हैं.

गाय:

श्रीकृष्ण का गायों के साथ ख़ासा लगाव था. वे एक तरह से गौ प्रेमी और गौ रक्षक थे. ऐसा कहा जाता हैं कि वे गौलोक में निवास करते हैं. इसलिए जन्माष्टमी के दिन गाय या उसके बछड़े की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता हैं. आप चाहे तो गाय की तस्वीर भी पूजा में शामिल कर सकते हैं.

गीता:

हिंदू धर्म के ग्रंथो में गीता सबसे ऊपर आती हैं. ये इंसान को सांसारिक मोह माया से उभरने में मदद करती हैं. महाभारत के समय कृष्णजी ने अर्जुन को गीता के कई उपदेश दिए थे. ये एक तरह से कृष्ण-वाणी होती हैं. इसलिए जन्माष्टमी के दौरान पूजा में गीता की पौथी जरूर रखे. आप इसे रात में जागरण के दौरान पढ़ भी सकते हैं.

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