कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार भी दो तारीखों में उलझा जन्मोत्सव, जानिए सही तारीख और पूजा का मुहूर्त
एक समय था जब श्रीकृष्ण को सिर्फ भारत में लोग पूजते थे लेकिन अब बहुत से विदेशी भी श्रीकृष्ण की मूर्ती या तस्वीर रखकर उनकी पूजा करते हैं। बहुत से विदेशी भारत आकर कई ऐतिहासिक हिंदू धर्म-स्थल पर जाते हैं और वहां पर सभी अच्छी चीजों को ऑबजर्ब करते हैं और फिर उसे अपने कल्चर तक पहुंचाते हैं तभी तो कृष्ण जन्माष्टमी सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दूनिया में मनाई जाती है। इसका प्रचलन ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और साउथ अफ्रीका में भी खूब है। कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार भी दो तारीखों में उलझा जन्मोत्सव, चलिए आपको बताते हैं सही राह।
कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार भी दो तारीखों में उलझा जन्मोत्सव
हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्रीहरि विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को ही जन्माष्टमी कहा जाता है और हर साल इसकी तिथि को लेकर लोगों में काफी दुविधा रहती है। अगर आपको भी समझ नहीं आ रहा है तो आपको बता दें कि जन्माष्टमी 23 अगस्त को भी मनाई जाएगी और 24 अगस्त को भी, दरअसल कुछ ऋषिमुनि लोग एक दिन पहले मनाते हैं जब ये शुभ घड़ी लगती है और उसके अगले दिन गृहस्थ जीवन वाले मनाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। अगर अष्टमी तिथि के हिसाब से देखा जाए तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी होनी चाहिए लेकिन रोहिणी नक्षत्र की माने तो फिर 24 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी होनी चाहिए। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान की प्रप्ति होती है इसके अलावा आयु और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर व्यक्ति अपनी हर मनोकामना पूरी करता है। जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर होता है उन्हें कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा करनी चाहिए लाभ मिलता है।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी को हुआ था। जिसके कारण इनके जन्म दिन को जन्माष्टमी कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का रोहिणी नक्षत्र में होना इसलिए है क्योंकि जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का बहुत ध्यान रखा जाता है। इस दिन पूरा देश और देश के कई हिस्से में कृष्ण जी का जन्मोत्वस धूम-धाम से मनाया गया था। इस बार हर जगह जन्माष्टमी 24 अगस्त को मनाया जाएगा जिसकी तैयारियां शुरु हो गई हैं।
क्या है पूजा का सही मुहूर्त ?
जन्माष्टमी की तिथि 23 और 24 अगस्त को मनाई जाएगी। अगर आप 23 अगस्त को मनाते हैं तो सुबह 8 बजकर 9 मिनट का समय सबसे उत्तम होगा। अगर आप 24 को मनाते हैं तो सुबह 8 बजकर 32 मिनट का समय सबसे अच्छा है। रोहिणी नक्षत्र की पूजा 24 अगस्त सुबह 3 बजकर 48 मिनट तक होगा और रोहिणी नक्षत्र में ही 25 अगस्त को सुबह 4 बजकर 17 मिनट तक का समय होगा। कृष्ण जन्माष्टमी के प्रसाद में पंचामृत और उसमें तुलसी का पत्ता या तुलसी दल जरूर मिलाएं। मेवा, माखन और मिसरी की व्यवस्था भी जरूर करें, और आप पंजीरी का प्रसाद भी बना सकते हैं।