रामायाण का ज्ञान: अहंकार होने की वजह से आ जाती है पति-पत्नी के रिश्ते में दरार
पति और पत्नी का रिश्ता बेहद ही नाजुक माना जाता है। इसलिए इस रिश्ते को निभाते समय कई चीजों का ख्याल रखना पड़ता है। कई बार अपने जीवन साथी की बात ना मानने के चलते और अंहकार की वजह से पति और पत्नी के बीच विवाद हो जाता है। इसलिए ये जरूरी है कि आप अपने जीवन साथी की बात को जरूर मानें और कभी भी अंहकार को अपने रिश्ते के बीच ना आने दें। पति और पत्नी के बीच अंहकार ना होना और एक दूसरे की बात मानना कितना जरूरी है इस चीज को हम राम जी और सीता जी के जीवन से समझ सकते हैं।
सीता जी के लिए तोड़ा था राम जी ने धनुष –
सीता मां के स्वयंवर का आयोजन भव्य तरीके से किया गया था और इस स्वयंवर में सीता जी के पिता जनक ने एक शर्त रखी थी। इस शर्त के अनुसार जो व्यक्ति शिव जी का धनुष उठाकर उसे तोड़ता, उसी से सीता जी का विवाह करवाया जाता। सीता जी से विवाह करने के लिए दूर-दूर से राजा आए थे। लेकिन कोई भी राजा शिव जी के धनुष को उठा नहीं सका। इतना ही नहीं रावण भी सीता जी से विवाह करने के लिए स्वयंवर में आया था। रावण को अपने पर अंहकार था कि वो धनुष को आसानी से उठाकर उसे तोड़ देगा। लेकिन रावण के इसी अंहकार के कारण वो धनुष को नहीं उठा सका। वहीं जब राम जी को उनके गुरु ऋषि विश्वामित्र ने धनुष उठाने को कहा तो राम जी ने बिना किसी अंहकार के धनुष को उठाकर तोड़ दिया और इस तरह से राम और सीता जी का विवाह हो गया। इसलिए आप भी अपने जीवन में रावण की तरह अंहकार करने से बचें।
माने जीवन साथी की हर बात
जो दूसरी चीज पति और पत्नी के बीच होना बेहद ही जरूरी है वो एक दूसरे की बातों पर विश्वास करना और एक दूसरे की बात को मानना। कई बार हम अपने जीवन साथी की बात को अनसुना कर देते हैं। जो कि गलत होता है और ऐसा करने से कई बार हमारे जीवन में दिक्कते भी पैदा हो जाती हैं। रामायाण में जब राम जी और सीता जी को वनवास मिला था। तब राम जी और सीता जी के साथ लक्ष्मण भी वनवास पर गए थे। वहीं एक दिन हिरण को देख सीता मां ने राम से कहा कि उन्हें वो हिरण बेहद ही प्यार लगा है और वो उसे पाना चाहती हैं। सीता मां की इच्छा को पूर्ण करने के लिए राम जी उस हिरण के पीछ निकल पड़े। हालांकि राम जी ने सीता मां की रक्षा के लिए लक्ष्मण को उनके साथ छोड़ा। लेकिन सीता मां ने राम जी के आदेश को अनदेखा कर लक्ष्मण जी को राम के पास जाने को कहा। जिसकी वजह से रावण आसानी से सीता मां का अपहरण कर सका। इस प्रसंग से हमें इस चीज का ज्ञान मिलता है कि अपने जीवन साथी की बात का मान रखना चाहिए और उसकी बात को अनदेखा नहीं करना चाहिए।