भारत और पाकिस्तान के ये देश आजादी के पहले दिखते थे कुछ ऐसे, देखिए तस्वीरें
आजादी को 73 साल हो गए हैं और इन सालों में भारत की तस्वीर ना जाने कितनी बार बदली है। आजादी से पहले भारत और पाकिस्तान एक ही था और इन सालों में ना जाने कितना बदल गया है। परिवर्तन प्रकृति का स्वभाव होता है और भारत में आजादी के बाद से बहुत सारे परिवर्तन हुए हैं जो देखने लायक हैं। मगर आजादी से पहले हमारा भारत कैसा था इसके बारे में जानने के लिए हम सभी बेकरार रहते हैं। भारत और पाकिस्तान के ये देश आजादी के पहले दिखते थे कुछ ऐसे, आपको भी देखना चाहिए।
भारत और पाकिस्तान के ये देश आजादी के पहले दिखते थे कुछ ऐसे
करीब 200 सालों तक ब्रिटिश रूल का गुलाम रहने के बाद 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था। आजादी किसी का दिया हुआ तोहफा नहीं है बल्कि इसके पीछे ना जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी है। पूरे देश से जब संवतंत्रता आंदोलन की हुंकार उठी तब अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही पड़ा था। पूरे देश से स्वतंत्रता आंदोलन की उठी लपटों ने गोरों को यहां से भगाने पर मजबूर कर दिया था। मगर आजादी से पहले इन शहरों की एक झांकी तो देखना बनता है जब बिहार, दिल्ली से लेकर पाकिस्तान के पेशावर लाहौर कैसे दिखते थे।
मुंबई
आधुनिक भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई कभी तात्या टोपे और बाल गंगाधर तिलक की धरती रही है। कैसे महात्मा गांधी के साथ करोड़ों देशवासी यहां हुए आंदोलनों में शामिल होते थे। साल 1947 के पहले बंबई किस तरह अंग्रेजों के लिए बॉम्बे था और बाद में हिंदुस्तानियों के लिेए मुंबई बनी।
बिहार
बिहार के इतिहास में कई अध्याय लिखे गए हैं और आधुनिक बिहार की राजनीति से लेकर यहां की पाटलीपुत्र भी लोकप्रिय रही है। आजादी की लड़ाई से लेर अब तक के बहुत से कामों में बिहार का बहुत योगदान रहा है। अगस्त क्रांति के मतवालों में बड़ी संख्या में बिहार के क्रांतिकारियों के नाम आते हैं। साल 1947 से पहले अंग्रेज कुछ इस तरह गंगा तट का इस्तेमाल करते थे।
श्रीनगर
हाल ही में धारा 370 हटने पर श्रीनगर का रुख ही बदल गया है। मगर साल 1947 से पहले यहां राजा हरि सिंह का शासन हुआ करता था और आपको बता दें कि राजा हरि सिंह ने अंग्रेजों से कहा था कि वे अपनी रियासत को हिंदू-मुस्लिम की सियासत से दूर रखना चाहते हैं।
पेशावर
साल 1947 से पहले पेशावर शहर कुछ ऐसा था। ये शहर वीर सपूतों के सैकड़ों किस्सों को आज भी बयां करता है। वर्तमान में ये पाकिस्तान का एक शहर है यह ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की राजधानी भी है। पेशावर को पुराने पुस्तकों में पुरुषपुर के नाम से भी जाना जाता है।
लाहौर
पाकिस्तान के पंजाब राज्य की राजधानी लाहौर को पाकिस्तान का दिल कहा जाता है। भगत सिंह जैसे वीर जवानों की धरती रही लाहौर कभी पंजाब जो पांचों नदियों से मिलकर बना था उसी का हिस्सा हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि लाहौर की स्थापना भगवान श्रीराम के पुत्र लव ने की थी।
कोलकाता
कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केंद्रीय भूमिका में रहा है। इस शहर ने अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल जैसे क्रांतिकारी दिए। शुरुआती राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दु बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी और स्वराज की वकालत करने वाले पहले व्यक्ति सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसे महान पुरुष यहीं से थे। यहां के साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी का आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भी भारत का राष्ट्र गीत बना हुआ है।
दिल्ली
आज की आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ चुकी है। फिर बसनी और इसपर तमाम लोगों का निशाना रहता था। साल 1857 के सैनिक विद्रोह के बाद दिल्ली पर ब्रिटिश शासन ने कब्जा किया था. पहले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को पूरी तरह दबाने के बाद अंग्रेजों ने बहादुरशाह जफर को रंगून भेज दिया और भारत को गुलाम बना लिया।
कराची
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री रहे जिन्ना का जन्मस्थल कराची है। यहां के लोग इसलिए इसे शहर-ए-कायद कहते हैं क्योंकि यहां की रोशनी अद्भुत है और ये पारिस्तान का सबसे बड़ा बंदरगाह है। इस जगह को अंग्रेज व्यापार के लिए इस्तेमाल करते थे।साल 1946 से पहले ये भारत का हिस्सा हुआ करता था।