15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने में होता है काफी अंतर, जानिए इसके बारे में
राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश का गौरव है और इस गौरव का सम्मान हर भारतीय करता है। तिरंगा ना सिर्फ कपड़े या कागज पर बने कोई रंग हैं बल्कि ये तीन रंगों में बने अलग-अलग बातों को बायं करता है। जिसमें केसरिया बलिदान का प्रतीक माना जाता है, सफेद शांति का प्रतीक है और हरा विश्वास, उर्वरता, खुशहाली, समृद्धि और प्रगति होता है। ये राष्ट्रीय ध्वज 15 अगस्त और 26 जनवरी को सबसे ज्यादा फहराया जाता है मगर ऐसा क्यों होता है ये आपको पता है ?ये बात बचपन में हर बच्चा अपनी पढ़ाई के दौरान पढ़ता है लेकिन बड़े होने पर काम की जिम्मेदारियों में लोग भूल जाते हैं लेकिन ये बात हमारे देश से जुड़ी है जिसे हर नागरिक को याद रखना चाहिए। हर बात का कोई ना कोई मतलब होता है और 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने में होता है काफी अंतर, इसके बारे में आपको जानना चाहिए।
15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने में होता है काफी अंतर
हमारा राष्ट्रीय ध्वज ही हमारी शान है और 15 अगस्त के साथ ही 26 जनवरी को झंडा फहराना देश के लिए गौरव की बात है। मगर 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने में काफी फर्क होता है और इस फर्क को हम इन 3 बडे़ फर्क के माध्यम से आपको बताएंगे।
15 अगस्त और 26 जनवरी के ध्वजारोहण में अंतर
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज ऊपर की ओर खींचा जाता है और फिर फहराते हैं। इसे ध्वजारोहण कहते हैं और वहीं 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर बांधा जाता है और इसे खोलकर फहराते है जिसे झंडा फहराना बोलते हैं। अंग्रेजी में ध्वजारोहण के लिए फ्लैग होस्टिंग और झंडा फहराने के लिए फ्लैग अनफर्लिंग कहते हैं।
26 जनवरी पर राष्ट्रपित फहराते हैं झंडा
15 अगस्त को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री शामिल होता है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ही ध्वजारोहण करते हैं, जबकि 26 जनवरी को आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में झंडा फहराते हैं। स्वतंत्रता दिवस के खास मौके पर मुख्य कार्यक्रम का आयोजन लाल किले पर होता है, वही प्रधानमंत्री ध्वजारोहण किया जाता है। प्रधानमंत्री इस मौके पर लाल किले से देश को संबोधित करते हैं तो वहीं गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।
प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक प्रमुख होते हैं जबकि राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं। देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था और इससे पहले ना देश में ना संविधान था और ना ही राष्ट्रपति थे। इसी वजह से हर साल 26 जनवरी को राष्ट्रपति ध्वजारोहण करते हैं।