मेहरबानी हो गई जो टिकट दे दिया वरना निर्दलीय ही चुनाव लड़ना पड़ता
सपा में सियासी कलह एकबार फिर करवट लेता नजर आ रहा है एक तरफ सपा संरक्षक और पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सपा कांग्रेस गठबंधन से नाराज हैं तो दूसरी तरफ मंगलवार को शिवपाल यादव ने भी नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया.
शिवपाल यादव नामांकन दाखिल करने आये :
दरअसल शिवपाल यादव इटावा की जसवंत नगर सीट से अपना नामांकन दाखिल करने आये थे, वहां मीडिया से मुख़ातिब होते हुए उन्होंने कहा कि 11 मार्च के बाद नई पार्टी बनाएंगे, उस वक्त अखिलेश के लिए शिवपाल के तेवर काफी तल्ख़ दिखे. इससे ये बात तो साफ हो ही गयी है कि सपा को अब दो फाड़ होने से कोई नहीं बचा सकता.
जिस तरफ से शिवपाल ने ये बयान दिया है उससे ऐसा लगने लगा है कि वो पार्टी से अलग होने का पूरा मन बना चुके हैं, उन्होंने अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा. शिवपाल यादव ने कहा कि हमने पर्चा भर दिया है, आज हम जो भी हैं नेता जी की वजह से. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि आज जो भी हैं नेता जी की वजह से हैं फिर भी नेता जी का अपमान करते हैं. मुझसे जो चाहे ले लो मगर नेता जी का अपमान मुझे बर्दाश्त नहीं है.
शिवपाल ने कहा कि वो मरते दम तक नेता जी के साथ रहेंगे और उनकी बात मानेंगे. शिवपाल ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि मेहरबानी हो गई जो टिकट दे दिया वरना निर्दलीय ही चुनाव लड़ना पड़ता.
शिवपाल यादव इतने पर ही नहीं थमें उन्होंने कहा कि 11 मार्च के बाद वो नई पार्टी भी बनायेंगे, यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि मुलायम सिंह यादव अपने समर्थकों और सपा के अन्य कार्यकर्ताओं से पहले ही कह चुके हैं कि वो उन सीटों से निर्दलीय चुनाव लड़ें जिसपर कांग्रेस के प्रत्यशियों को उतारा गया है, मुलायम खुद को गठबंधन से अलग भी कर चुके हैं.
ऐसे में शिवपाल का भी नई पार्टी बनाने की बात कहना अपने आपमें एक संकेत भी है कि निर्दलीय लड़ने वाले उम्मीदवारों के साथ चुनाव के बाद कुछ अलग किया जा सकता है जिससे सरकार और प्रदेश प्रभावित हो.
इन सब बातों के बीच एक बात तो बिल्कुल साफ हो गयी है कि अखिलेश यादव के हाथ में सपा की कमान और चुनाव चिन्ह तो आ गया लेकिन सियासी टकराव अभी भी भीतर ही भीतर सुलग रहा है. शिवपाल ने चुनाव आयोग के फैसले के बाद पहली बार मीडिया के सामने अपनी बात रखी और उन्होंने सीधे तौर पर नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी.