साल में एक बार ही खुलते हैं इस मंदिर के कपट, पूजा के दौरान नागराज भी होते हैं उपस्थित
सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नांग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और नागों को दूध पिलाया जाता है। ये त्योहार हर वर्ष आता है और इस दिन लोग सांपों की पूजा विधि-विधान से करते हैं। कई लोग इस दिन नागों के मंदिर जाकर वहां पर भी पूजा और हवन किया करते हैं। इस पर्व के दिन महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं। ये मंदिर बेहद ही खास मंदिर माना जाता है और इस मंदिर को केवल नाग पंचमी वाले दिन ही खोला जाता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार नाग पंचमी वाले दिन इस मंदिर के कपट खोलकर पूजा करने से विशेष फल मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन नागराज भी इस मंदिर में आते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
इस मंदिर में रखी गई है शिव-पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा
नागचंद्रेश्वर मंदिर में नाग देव के अलावा शिव और पार्वती मां की पूजा भी की जाती है। इस मंदिर मे नाग देव के आसन पर भगवान शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा रखी गई है। ये प्रतिमा एक दुर्लभ प्रतिमा मानी जाती है और ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव जी और माता पार्वती की ये प्रतिमा इस मंदिर के अलावा किसी और में देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल हमेशा नाग शय्या पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी ही विराजमान होते हैं। लेकिन इस मंदिर में नाग शय्या पर शिव और माता पार्वती विराजमान है और ऐसी प्रतिमा किसी और मंदिर में नहीं रखी गई है। इतना ही नहीं नाग शय्या पर भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के अलावा इनके पुत्र गणेश जी भी विराजमान हैं।
आखिर क्यों है नाग शय्या पर शिव जी हैं विरामान
नाग शय्या पर शिव भगवान के वास होने से एक कथा जुड़ी हुई है और इस पौराणिक कथा के अनुसार, नागराज तक्षक ने शिव जी भगवान को प्रसन्न करने के लिए खूब मेहनत की थी और शिव भगवान की कठोर तपस्या की थी। नागराज की तपस्या से खुश होकर शिव भगवान ने उन्हें दर्शन दिए थे और उनको अमरत्व का वरदान दिया था। ये वरदान मिलने के बाद नागराज ने शिव जी के सान्निध्य में वास करना शुरू कर दिया और इसी कारण से इस मंदिर में ये मूर्ति रखी गई है। जिसमें नागराज पर शिव भगवान, मां पार्वती और गणेश जी विराजमान हैं।
पूजा करने से मिलता है विशेष लाभ
नाग पंचमी के दिन इस मंदिर में आकर नाग देव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। ऐसा माना जाता है कि अगर सच्चे मन से नाग पंचमी के दिन यहां पर आकर पूजा की जाए तो कुड़ली में मौजूद सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
कहां पर है ये मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर मध्य प्रेदश राज्य में स्थित है। ये मंदिर उज्जैन शहर में है और इस मंदिर के आसपास अन्य प्रसिद्ध मंदिर भी है। इसलिए आप जब भी इस मंदिर जाएं तो यहां पर स्थित अन्य मंदिरों में भी जाकर भगवान के दर्शन जरूर करें।