पुरे कश्मीर में सिर्फ ये दो महिला IAS हैं तैनात, इन चुनौतियों का सामना कर बटोर रही तारीफें
गौरतलब हैं कि इन दिनों जम्मू और कश्मीर में तनाव का माहोल हैं. ऐसे में कई सेना और अफसर यहाँ शान्ति और अमन कायम बनाए रखने के लिए तैनात भी हैं. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में से कश्मीर घाटी सबसे ज्यादा संवेदनशील मानी जाती हैं. ऐसे में इस घाटी में जहाँ कई मर्द सुरक्षा हेतु तैनात हैं तो सिर्फ दो ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें कह्स्मिर में तैनात किया गया हैं. ये दोनों ही महिलाएं अपने अच्छे काम की वजह से खूब तारीफें बटोर रही हैं. इसमें से पहली महिला का नाम डॉक्टर सैयद सहरीश असगर हैं. असगर साल 2013 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. असगर जब आईएएस बनी थी तो उन्होंने नहीं सोचा था कि उनी नई जिम्मेदारी कश्मीर में बैठे लोगो की उनके प्रियजनों से फोन पर बात कराने की या डॉक्टरी सहायता बनाने की होगी. वे जम्मू कश्मीर में सूचना निदेशक के पद पर कार्यरत हैं. हालाँकि पिछले कुछ दिनों से वो यहाँ लोगो की समस्याएं हल करने का काम कर रही हैं. दरअसल आर्टिकल 370 के हटने के बाद जो भी तनाव हैं उनके बीच इन्हें क्राइसिस मैनेजमेंट का काम करना पड़ रहा हैं.
इसके बाद दूसरी महिला की बात करे तो वे उनका नाम पीडी नित्या हैं जो कि श्रीनगर में तैनात हैं. नित्या साल 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं. इनकी ड्यूटी 40 किलोमीटर में फैले राम मुंशी बाग और हनव दागजी गांव के इलाकों की हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे इ ये एरिया काफी संवेदनशील हैं. इस इलाके में डल झील और राज्यपाल का आवास स्थल आता हैं. इसके अलावा यहां वे वीआईपी लोग भी हैं जिन्हें हिरासत में रखा गया हैं.
असगर की बात करे तो उनका एक साल का बीटा भी हैं. इतना ही नहीं उन्होंने एबीबीएस भी कर रखा हैं. वे इसकी जम्मू में प्रैक्टिस भी किया करती थी. हालाँकि बाद में उन्होंने इसे छोड़ आईएएस की एग्जाम दी और उनका सिलेक्शन हो गया. चुकी वे एक डॉक्टर भी हैं इसलिए वहां के मरीजों का इलाज का काम भी देख लेती हैं. हालाँकि उनका कहना हैं कि कश्मीर घाटी में थोड़ी चुनौतियाँ ज्यादा हैं. यहाँ आपको नरमी और सख्ती दोनों के साथ पेश आना पड़ता हैं. असगर के हस्बैंड कमिश्नर हैं जिनकी ड्यूटी पुलवामा जैसे संवेदनशील इलाके में लगी हुई हैं. असगर चाहती हैं कि और भी महिलाएं इस काम में आगे आए और समाज में बदलाव लाए.
वहीं 28 वर्षीय नित्या भी अपनी ड्यूटी के दौरान कई साड़ी चुनौतियों का सामना करती हैं. पहले उनकी जॉब एक सीमेंट कंपनी में प्रबंधक के तौर पर हुआ करती थी. हालाँकि बाद में उन्होंने अपनी फिल्ड चेंज कर ली. वे मूल रूप से छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं. वहां का माहोल बहुत शांत होता हैं. ऐसे में यहाँ के इलाके में ड्यूटी करना कोई आसान काम नहीं हैं. नेहरू पार्क के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी नित्या आम नागरिको की सुरक्षा के साथ वीवीआइपी लोगों की सुरक्षा का जिम्मा भी संभालती हैं. वे बताती हैं कि यहाँ कई बार उन्हें लोगो के गुस्से का सामना भी करना होता हैं. नित्या की ख़ास बात ये हैं कि वे एक केमिकल इंजिनियर रह चुकी हैं. उन्हें कश्मीरी और हिंदी के अलावा तेलगु भाषा भी आती हैं.