पंचक के समय ना करें ये काम, झेलने पड़ सकते हैं दुष्परिणाम परिणाम!
जानकारों की मानें तो एक ही महीने में दो बार पंचक का आना किसी भी रूप में शुभ नहीं है और इस साल के पहले ही महीने दो भयंकर पंचकों का योग बन रहा है. सभी जातकों को यह सुझाव है कि वह पंचक के दिन और तिथियों का विशेष रूप से ध्यान अवश्य रखें.
2 जनवरी को पहला पंचक तब शुरु होगा जब सूर्य दक्षिणायन में रहेगा यह 6 जनवरी तक रहेगा. इसके बाद यह पंचक तब पड़ेगा जब सूर्य उत्तरायन में होगा. 29 जनवरी को यह पंचक शुरू होकर 2 फरवरी तक रहेगा. इस बीच खास ध्यान रखने की जरूरत है.
पंचक क्या है :
कुछ ऐसे अशुभ नक्षत्र भी हैं, जिन्हें काफी अशुभ माना जाता है. ये नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद एवं रेवती हैं. धनिष्ठा के प्रारंभ से लेकर रेवती के अंत तक का समय काफी अशुभ माना गया है, इसे पंचक कहा जाता है.
पंचकों के प्रकार :
ज्योतिषाशास्त्रियों के अनुसार पंचक भी कई प्रकार के होते हैं. आइए आपको बताते हैं पंचकों के प्रकार.
पंचक का प्रारंभ :
अगर पंचक का प्रारंभ रविवार से हो रहा होता है तो यह रोग पंचक कहा जाता है. इसके प्रभाव में आकर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करता है.
राज पंचक :
सोमवार से शुरू हुआ पंचक राज पंचक होता है, यह पंचक काफी शुभ माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान सरकारी कार्यों में सफलता हासिल होती है और बिना किसी बाधा के संपत्ति से जुड़े मसलों का निदान होता है.
अग्नि पंचक :
मंगलवार से शुरू हुए पंचक के दौरान आग लगने का भय रहता है जिसकी वजह से इस पंचक को शुभ नहीं कहा जा सकता. इस दौरान औजारों की खरीददारी, निर्माण या मशीनरी का कार्य नहीं करना चाहिए.
कोर्ट-कचहरी :
हां, इस दौरान कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों और अधिकार हासिल करने जैसे मसलों की पहल की जा सकती है, क्योंकि उनमें सफलता मिलने की संभावना होती है.
मृत्यु पंचक :
शनिवार से शुरू हुआ पंचक सबसे ज्यादा घातक होता है क्योंकि इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है। अगर इस दिन किसी कार्य की शुरुआत की गई तो व्यक्ति को मृत्यु तुल्य परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
जोखिम भरा कार्य :
शनिवार से शुरू हुए पंचक के दौरान कोई भी जोखिम भरा कार्य नहीं करना चाहिए। व्यक्ति को चोट लगने, दुर्घटना होने और मृत्यु तक की आशंका रहती है।
चोर पंचक :
ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार शुक्रवार से शुरू हुए पंचक, जिसे चोर पंचक कहा जाता है, के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा धन से जुड़ा कोई कार्य भी पूर्णत: निषेध ही माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान धन की हानि होने की संभावनाएं प्रबल रहती हैं।
बुधवार या बृहस्पतिवार :
अगर पंचक बुधवार या बृहस्पतिवार से प्रारंभ हो रहे हैं तो उन्हें ज्यादा अशुभ नहीं कहा जाता। पंचक के मुख्य निषेध कर्मों को छोड़कर कोई भी कार्य किया जा सकता है.
तीन नक्षत्र :
पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद व रेवती, रविवार को होने से 28 योगों में से 3 शुभ योग चर, स्थिर व प्रवर्ध, बनाते हैं. इस समय शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त करने का विचार किया जा सकता है.
गृह प्रवेश :
उत्तरभाद्रपद नक्षत्र को स्थिर संज्ञक नक्षत्र कहा गया है, इसमें आप अचल संपत्ति से जुड़े कार्य कर सकते हैं. आप नया घर खरीद सकते हैं, भूमि से जुड़े कार्य, गृह प्रवेश और खेत में बीज रोपण करने जैसे कार्य कर सकते हैं.