गठबंधन से नेताजी नाराज, कैसे पसंद आयेगा वोटर्स को ये साथ!
अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फेंस में अपने अंदाज से ये जताने की हर मुमकिन कोशिश की, कि यूपी को अब यही साथ पसंद है, रविवार को लखनऊ में दोनों की दोस्ती का मैटिनी शो खत्म होने के बाद मुलायम सिंह यादव दिल्ली में इवनिंग शो के साथ सामने आये.
राहुल और अखिलेश का साथ उन्हें कतई पसंद नहीं :
सपा के संरक्षक मुलायम सिंह ने दिल्ली में जो बयान दिया, उससे यही ज़ाहिर हुआ कि राहुल से बेटे अखिलेश का साथ उन्हें कतई पसंद नहीं है. एक इंटरव्यू में मुलायम ने कहा कि वो खुद भी गठबंधन के लिए प्रचार नहीं करेंगे और कार्यकर्ताओं से भी कहेंगे कि वो समझौते के खिलाफ प्रचार करें.
मुलायम ने कहा कि ये वही कांग्रेस है जो मस्जिद मामले और फर्जी मुठभेड़ों में घिरी रही है. उन्होंने समर्थकों से कहा कि गठबंधन में जहां से कांग्रेस को टिकट मिला है वहां से चुनाव लड़ो, और कांग्रेस के विरोध में प्रचार करो.
अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मुलायम ने कहा कि उन्होंने सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं का भविष्य बिगाड़ा है. कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कई सालों तक देश पर राज किया है और इसी वजह से देश पिछड़ा हुआ है.
पिछले दिनों सपा में मचा रहा घमासान हो या फिर चुनाव आयोग पहुंचा चुनाव चिन्ह का मामला, दोनों को लेकर ये सवाल भी उठते रहे कि बेटे की इमेज बनाने के लिए कहीं ये नूरा कुश्ती तो नहीं? इसलिए गठबंधन पर मुलायम की नाराज़गी के भी अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं.
एक मतलब ये भी निकाला जा रहा है कि गठबंधन में कांग्रेस का गणित उलझाने के लिए मुलायम ने कांग्रेस पर हमला तो नहीं किया, ताकि सपा के वोट और एकजुट हो सकें. मीडिया के सामने जिस तरह से मायावती पर राहुल और अखिलेश के रुख में मतभेद दिखा, उससे पहले ही गठबंधन का विरोधाभास उजागर हो चुका है. दोस्ती पर अब मुलायम की तलवार भी लटक गई है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि कब तक ये साथ चलेगा?