धारा 370: शुरु हो चुकी है पाक के अंत की उलटी गिनती, अब है POK और गिलगिट की बारी
जब से गृह मंत्री ने धारा 370 खत्म करने की बात सदन में कही है तब से कुछ भारतीयों को ये बात हजम नहीं हो पा रही है। इसके साथ ही पाकिस्तान में ऐसी खलबली मच गई कि एक के बाद एक करके पाकिस्तान पीएम एक्शन लेते दिख रहे हैं। कभी वो पाकिस्तान से भारत के हर व्यापारिक रिश्ते खत्म करते हैं तो कभी हवाई यात्राओं पर भी रोक लगाते हैं। पाकिस्तान में कोई भी भारतीय फिल्म रिलीज नहीं होगी और भारतीय अब पाकिस्तान जा भी नहीं पाएंगे, इन्ही नियमों के साथ ही लोगों में ऐसी कई बातों की हलचल मची हुई है। कि अब क्या होने वाला है और इसके साथ ही शुरु हो चुकी है पाक के अंत की उलटी गिनती, क्या हो सकता है पढ़िए इसके बारे में..
शुरु हो चुकी है पाक के अंत की उलटी गिनती
कश्मीर मसले को यूनाईटेड नेशंस में उठाने का ऐलान करने के बाद पाकिस्तान के अंदर घमासान मचना शुरु हो गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि वे सभी बिंदुओं पर लीगल रायशुमारी करने के बाद मसलों को इंटरनेशनल फोरम पर उठाएंगे। इसके साथ ही इमरान खान के लीगल एडवायजर और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान ने भी अपनी राय देते हुए कहा है कि अगर पाकिस्तान सरकार कश्मीर मसले को यूनाईटेड नेशंस के सामने उठाता है और अनुच्छेद 370 का हवाला देता है तो पाकिस्तान अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारने वाला काम करेगा। इस मसले को उठाते ही यूनाईटेड नेशंस पाकिस्तान से सवाल करेगा कि अनुच्छेद 370 भारत के कश्मीर में हटा है इससे पाकिस्तान को क्या परेशानी है और इस सवाल का जवाब पाकिस्तान के पास होगा नहीं। अनुच्छेद 370 भारत सरकार और उस समय की कश्मीर सियासत के सदर के बीच का अस्थाई ब्रिज रहा है जब दूसरी बात यह भी इस मसले को उठाते ही दुनिया के सामने यह साफ हो जायेगा कि पाकिस्तान भारत के अंदरूनी मसलों में बेवजह दखलंदाजी देने की कोशिश हमेशा से करता आया है। यह बात साबित होते ही कश्मीर में आतंकी वारदातों का आरोप भी पाकिस्तान पर साबित हो जायेगा और इन परिस्थितियों में पाकिस्तान के पास केवल एक ही रास्ता है कि कश्मीर में कथित ह्युमन राइट्स वॉयलेशन के मुद्दे को तूल देकर उठाया जाये। ना कि भारत ने धारा 370 हटाया है इस बात को उठाए।
क्या कर सकते हैं इमरान खान ?
अब इमरान खान के सामने समस्या ये है कि उन्होंने कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का मसला यूनाइटेड नेशंस में उठाने का वादा कर दिया है। अब वो अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो पूरे मुल्क में उनकी किरकिरी होना तय है जो अभी भी हो रही है लेकिन छुप-छिपाकर उसके बाद लोग खुलेआम अपने पीएम का मजाक उड़ाएंगे। इसके साथ ही विपक्षी पार्टियां इसी मसले को लेकर उनकी सरकार को घेरकर ना जाने कैसे-कैसे सवाल करेगी। अटॉर्नी जनरल ने इस बारे में ये भी कहा है कि अगर अंदरूनी सियासत के चलते अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया है तो इस मसले को यूनाईटेड नेशंस के सामने उठाया भी जाता है तो जनमत संग्रह पर दवाब बनाया जाता है तो इस समय पाकिस्तान के लिए ये सब खतरे से खाली नहीं होगा। क्योंकि इस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता केवल भारत में ही नहीं बल्कि गुलाम कश्मीर, गिलगिट बालटिस्टान से लेकर बलोचिस्तान में भी फैली हुई है। जनमत संग्रह की शर्तों के अनुसार पाकिस्तान को गुलाम कश्मीर और गिलगिट बालटिस्तान से सेना को पूरी तरह से हटाना होगा और वहां से अपना नियंत्रण स्वतंत्र संस्था को सौंपना होगा। अगर यूनाईटेड नेशंस की इन शर्तों के आधार पर जनमत संग्रह करता है तो ना केवल गुलाम कश्मीर और बालटिस्तान से पाकिस्तान को हाथ धोना पड़ेगा बल्कि इसके साथ ही पृथक बलोचिस्तान, सिंध की मांगों के आगे भी पाकिस्तान को झुकना पड़ सकता है। इसलिए इस मुद्दे को पीएम इमरान खान अपने तक ही रखें तो सही रहेगा।