उम्मीदवारों की कैश लिमिट ना बढ़ाने पर RBI और चुनाव आयोग में ठनी!
पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मिजोरम) में विधानसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए कैश लिमिट नहीं बढ़ाने पर चुनाव आयोग ने आरबीआई से नाराज है. आयोग ने बुधवार को आरबीआई से उम्मीदवारों की नकदी निकासी की साप्ताहिक सीमा 24,000 रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए करने का अनुरोध किया था. चुनाव आयोग के इस अनुरोध को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खारिज कर दिया जिस पर आयोग की तीखी प्रतिक्रिया आई है. आयोग का कहना था कि नोटबंदी के बाद लागू सीमा से उम्मीदवारों को अपने प्रचार का खर्च निकालने में कठिनाई होगी। लेकिन रिजर्व बैंक का कहना है कि इस स्तर पर सीमा बढ़ाना संभव नहीं है.
आरबीआई के इस रुख से नाराज चुनाव आयोग :
आरबीआई के इस रुख से नाराज आयोग ने सीधे गवर्नर उर्जित पटेल को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि जिस तरह से इस मुद्दे को सरसरी ढंग निपटाया गया वह गंभीर चिंता का विषय है. ऐसा लगता है आरबीआई ने इस स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा है. आयोग ने रिजर्व बैंक से प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया. आयोग ने बुधवार को आरबीआई से कहा था कि नोटबंदी के बाद लागू नकदी निकालने की सीमा की वजह से उम्मीदवारों को हो रही परेशानियों से वह वाकिफ है.
चुनाव आयोग ने रिजर्व बैंक को चिट्ठी :
आयोग ने 24 जनवरी को रिजर्व बैंक को चिट्ठी लिखकर हर एक उम्मीदवार के लिए नकद निकासी की सीमा बढ़ाने की बात कही थी. आयोग ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी प्रमाणपत्र जारी करेंगे कि कौन व्यक्ति चुनाव मैदान में है और उसे चुनावी खर्च के लिए विशेष रूप से खोले गये बैंक खाते से प्रति सप्ताह दो लाख रुपये निकालने की अनुमति दी जाए. इस चिट्ठी के पांच दिन बाद ही रिजर्व बैंक ने आयोग की इस दलील को दरकिनार करते हुए कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए नकद निकासी कोई अनिवार्य शर्त नहीं है.
चुनाव आयोग ने कहा कि 11 मार्च को मतगणना की तारीख तक यह सुविधा दी जानी चाहिए. आयोग ने कहा था कि 24,000 रुपये की साप्ताहिक नकदी निकासी सीमा के साथ एक उम्मीदवार चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक अधिकतम 96,000 रुपये नकदी निकाल सकेगा. आयोग ने रिजर्व बैंक से कहा कि कानून के अनुसार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी चुनाव प्रचार में 28-28 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं. गोवा और मणिपुर में यह सीमा 20-20 लाख रुपये है. चुनाव आयोग ने कहा कि चेक से भुगतान करने के बावजूद उम्मीदवारों को छोटे मोटे खर्चों के लिए नकदी चाहिए होगी. ग्रामीण इलाकों में नोटबंदी का बड़ा असर है जहां बैंकिंग सुविधाएं बहुत कम हैं.