पति के नाम को सरनेम बनाकर रौशन करती रही नाम, जानिये कैसे हुई थी सुषमा की स्वराज से पहली मुलाकात
कल पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की सीनियर लीडर सुषमा स्वराज का 67 साल की उम्र में निधन हो गया. मंगलवार रात को उन्हें करीब 10 बजकर 15 मिनट पर दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया जहां 70 मिनट तक चलने वाली जिंदगी को बचाने वाली जद्दोजहद के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. बता दें, दिल का दौरा पड़ने की वजह से सुषमा स्वराज का निधन हुआ. सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं. सुषमा स्वराज जैसी ताकतवर शख्सियत के जाने पर न पूरे देश में बल्कि राजनीतिक से लेकर फ़िल्मी क्षेत्र में सन्नाटा पसरा हुआ है. कल डॉक्टरों द्वारा मौत की पुष्टि के बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके घर लाया गया. हालत नाजुक की खबर मिलते ही अस्पताल में राजनेताओं का तांता लग गया था. आज सुबह जब प्रधानमंत्री मोदी सुषमा स्वराज का अंतिम दर्शन करने गए तो उनकी आंखें भी नम हो गयीं. आपको बता दें विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने कई अच्छे और सराहनीय काम किये हैं. उनके बेहतरीन काम की तारीफें आम जनता से लेकर खुद राजनेता करते थे. बता दें, आज दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
घर से मिली थी आरएसएस (RSS) की शिक्षा
सुषमा स्वराज का नाम आते ही हमारे जहन में एक ताकतवर और सशक्त महिला की छवि आती है. सुषमा स्वराज जब भाषण देती थीं तो लोग उन्हें घंटों सुनते ही रह जाते थे. उन्हें भारतीय राजनीति की एक कुशल राजनेता माना जाता है. हरियाणा के अंबाला कैंट में 14 फ़रवरी 1952 को सुषमा स्वराज का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम हरदेव शर्मा और माता का नाम लक्ष्मी देवी था.
सुषमा स्वराज के माता-पिता मूल रूप से पाकिस्तान के लाहौर स्थित धरमपुरा के रहने वाले थे. सुषमा के पिता खुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े कार्यकर्ता थे. लिहाजा उन्हें घर पर ही संघ की पाठशाला का ज्ञान मिलने लगा. सुषमा ने अंबाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत और राजनीति में अपनी डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की भी डिग्री ली. सुषमा के बोलने का हुनर हर किसी को प्रभावित करता था. ऐसे में उन्होंने हरियाणा के लैंग्वेज डिपार्टमेंट के कम्पटीशन में लगातार 3 साल तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी वक्ता का अवार्ड अपने नाम किया.
कॉलेज में हुई पति से पहली मुलाकात
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चंडीगढ़ के कॉलेज में लॉ की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात स्वराज कौशल से हुई. दोनों की प्रेम कहानी कॉलेज टाइम से ही शुरू हो गयी थी. 1973 में सुषमा ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की. उस दौरान वह अपने पति स्वराज कौशल के साथ जॉर्ज फ़र्नांडिस के बड़ौदा डायनामाइट केस (1975-77) में लीगल डिफेन्स टीम का हिस्सा थीं. 13 जुलाई 1973 में इमरजेंसी के दौरान सुषमा ने स्वराज कौशल से शादी की. उस टाइम स्वराज कौशल सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील हुआ करते थे. सुषमा ने उस दौर में प्रेम विवाह किया जब हरियाणा में प्रेम विवाह करना तो दूर इस बारे में सोचना भी बड़ी बात हुआ करती थी. बता दें, सुषमा की एक बेटी भी हैं जिनका नाम बांसुरी स्वराज है.
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