600 साल पुराना है सुब्रमण्या मंदिर, यहां की जाती है नाग देव की आराधना
हिंदू धर्म में सांपों को देवता माना जाता है और सांपों की पूजा करने का विशेष महत्व है। भारत में ऐसे कई सारे मंदिर हैं जो कि नाग देवता को समर्पित हैं और इन मंदिरों में नागों की पूजा की जाती है और नागों को दूध पिलाया जाता है। इन्हीं मंदिर में से बेंग्लुरू में स्थित सुब्रमण्या मंदिर बेहद ही खास है और इस मंदिर में भगवान सुब्रमण्या की पूजा की जाती है। दरअसल भगवान सुब्रमण्या को नागों का स्वामी माना जाता है। मान्यता है कि ये मंदिर 600 वर्ष से ज्यादा पुराना है।
कहां स्थित है ये मंदिर
सुब्रमण्या मंदिर बेंग्लुरू शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर डोड्डाबल्लापुरा तालुका के पास स्थित है। इस मंदिर को कई लोग सुब्रमण्या घाटी मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर में भगवान सुब्रमण्या की सात मुख वाली मूर्ति की पूजा की जाती है जो कि सर्प के रूप में है। नाग पंचमी के अवसर पर इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं और यहां पर आकर भगवान सुब्रमण्या की सात मुख वाली मूर्ति को दूध अर्पित करते हैं।
जुड़ी है लाखों लोगों की आस्था
सुब्रमण्या मंदिर में हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग आते हैं और इस मंदिर में विशेष पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है अगर वो इस मंदिर में आकर पूजा करें। तो ये दोष खत्म हो जाता है। इसके अलावा अन्य तरह के सर्प दोष से बचने के लिए भी इस मंदिर में पूजा की जाती है। कई लोग इस मंदिर में हर साल आकर नाग प्रतिष्ठापन की पूजा भी करते हैं।
ये मंदिर तीर्थस्थल द्रविड़ शैली में बनाया हुआ है और इस मंदिर में नाग पंचमी के अलावा नरसिम्हा जयंती पर भी विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा इस मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा नाग देवताओं की मूर्तियां भी रखी जाती है। वहीं ऐसी मान्यता भी है कि जिन लोगों को संतान नहीं है अगर वो इस मंदिर में आकर पूजा करें तो उनको संतान का सुख प्राप्त हो जाता है।
मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
ऐसा कहा जाता है कि इस स्थान पर रहने वाले एक नाग परिवार को गरुड़ जो कि भगवान विष्णु का वाहन हैं उनके द्वारा खूब परेशान किया जाता था। जब ये बात भगवान सुब्रमण्या को पता चली तो उन्होंने भगवान नरसिम्हा जो कि भगवान विष्णु का ही रूप हैं उनकी तपस्या की। तपस्या से खुश होकर भगवान नरसिम्हा ने भगवान सुब्रमण्या को दर्शन दिए। जिसकी बाद भगवान सुब्रमण्या ने भगवान नरसिम्हा से प्रार्थन कि की वो गरुड़ को समझाएं की वो नाग के परिवार को तंग ना करें। भगवान नरसिम्हा ने सुब्रमण्या की बात को मान लिया और गरुड़ ने नाग के परिवार को तंग करना बंद कर दिया।
इस मंदिर में भगवान सुब्रमण्या और नरसिम्हा की पूजा की जाती है और मंदिर के परिसर में इन दोनों भगवान की मूर्ति भी लगी हुई है। मंदिर के परिसर के ऊपर एक दर्पण भी लगाया है जिसमें इन दोनों भगवानों की दर्शन एक साथ हो जाता है।