आदि पेरुक्कु पर्व में की जाती है नदियों की पूजा, जानें इस पर्व का महत्व
दक्षिण भारत राज्यों में आदि पेरुक्कु पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। आदि पेरुक्कु पर्व के दौरान लोग नदियों और तलाबों की पूजा करते हैं। इस पर्व को किसानों द्वारा अधिक मनाया जाता है और किसान अच्छी फसल होने की कामना भगवान से करते हैं। आदि पेरुक्कु पर्व के साथ ही दक्षिण भारत के राज्यों में त्योहारों की शुरुआत भी हो जाती है। आदि पेरुक्कु क्यों मनाया जाता है, ये पर्व कब आता है और इस पर्व के दौरान क्या किया जाता है, इसकी जानकारी इस तरह है।
आदि पेरुक्कु क्यों मनाया जाता है
आदि पेरुक्कु पर्व जल से जुड़ा हुआ है और इस पर्व के दौरान लोग जल की पूजा करते हैं। इस पर्व को कावेरी नदी के किनारे पर मनाया जाता है। क्योंकि कावेरी नदी दक्षिण भारत राज्यों के लोगों के लिए जल का मुख्य स्त्रोत है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्व को मनाकर इस राज्य के लोग नदियों के प्रति अपना आभार जताते हैं और जल देने के लिए भगवान को शुक्रिया अदा करते हैं।
कब आता है ये पर्व और कैसे मनाया जाता है
आदि पेरुक्कु पर्व हर वर्ष मनाया जाता है और ये त्योहार तमिल महीने आदि के 18 वें दिन आता है। इस पर्व के दिन सुबह-सुबह लोग स्नान करके नदियों या झीलों के किनारे जाते हैं और वहां पर जाकर पानी की पूजा करते हैं। पूजा करते समय पानी को चावल, तिलक, खाने की चीजें और फूल अर्पित किए जाते हैं। फिर नदी के किनारे दीपक जलाया जाता है। कई लोग तो इस पर्व के दिन झील या तालाब के किनारे जाकर अपने परिवारवालों के साथ पिकनिक भी मनाते हैं।
इस तरह से की जाती है पूजा
इस पर्व के दिन शाम के समय सभी महिलाए एक साथ नदी के किनार जाकर सुख-समृद्धि की प्रार्थन करती हैं। इसके बाद लोग मां कावेरी की पूजा करते हैं। मां कावेरी की पूजा करने के बाद वरुणा देवी जिन्हें बारिश की देवी माना जाता है उनकी पूजा की जाती है। ताकि मां खुश होकर खूब बारिश करे और किसानों की फसलों की पैदावार बढ़ सके। इस पर्व को तिरुचरापल्ली, इरोड, तंजावुर और सलेम में धूमधाम से मनाया जाता है।
मंदिरों में आयोजित होते हैं विशेष कार्यक्रम
- ऐसा माना जाता है कि इस पर्व के साथ अन्य त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। इस पर्व के दिन तमिलनाडु के कई मंदिरों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और लोग मंदिरों में जाकर भी पूजा करते हैं।
- पूजा करते हुए लोग अच्छी फसल की कामना भगवान से करते हैं और अच्छी बारिश हो सके इसके लिए भी विशेष पूजा मंदिरों में की जाती है।
- पूजा के दौरान महिलाएं देवी पचई अम्मा की आराधना जरूर करती हैं। दरअसल देवी पचई अम्मा को शांति और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है और इनकी पूजा कर महिला इनसे सुख और सुमृद्धि की कामना करती हैं।