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इजराइल ने फिर निभाया साथ, उस के दिए हुए SDR तकनीक से अब आसानी से होंगे बालाकोट जैसे ऑपरेशन

देश की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए वायुसेना ने इजराइल से सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो यानि SDR खरीदने का फैसला लिया है, जिसके ज़रिए दुश्मनों को आसानी से सबक सिखाया जा सकता है। जी हां, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो के ज़रिए से भारतीय वायुसेना पहले से अधिक शक्तिशाली हो जाएगी, जिसकी मदद से न सिर्फ दुश्मन को आसमान में ध्वस्त किया जा सकेगा, बल्कि उनके द्वारा संचार को बाधित करने की प्रक्रिया को भी रोका जा सकेगा। इतना ही नहीं, इस रेडियो डिवाइस से युद्ध के दौरान आसमान में बातचीत होना भी संभव हो सकेगा। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?

इजराइल से खरीदे जाने वाले सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के संचार को सुरक्षित रखने में मदद करेगा, जिसे दुश्मन चाह कर भी हैक नहीं कर सकता है। दरअसल, फिलाहल आसमान में दो विमानो के बीच होने वाली बातचीत असुरक्षित मानी जाती है, क्योंकि इसे दुश्मन देश आसानी से सुन सकता है, जिसकी वजह से कई बार मिशन फेल भी हो जाता था, लेकिन अब जब यह रेडियो डिवाइस भारत में आएगा, तब बालाकोट जैसे मिशन को आसानी से अंजाम दिया जा सकता है।

आसानी से हो सकेगा बालाकोट जैसे ऑपरेशन

वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो की मदद से लड़ाकू विमान में होने वाला संचार सुरक्षित रहेगा, जिसे दुश्मन देश छूने में भी असफल रहेगा। साथ ही अधिकारी ने कहा कि SDR यह सुनिश्चित करेगा कि दुश्मन हमारी बातचीत को न पकड़ पाए और न ही सुन सके, जिससे हम अपना मिशन आसानी से पूरा कर सकेंगे। इसके अलावा अधिकारी ने यह भी बताया कि डेटा लिंकिंग यह सुनिश्चित करेगा कि कौन सा वायुयान उड़ान भर रहा है। मतलब साफ है कि सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो की मदद से संचार सुरक्षित रहेगा।

इन विमानों में लगाया जाएगा ये डिवाइस

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो वायु सेना की प्रमुख लड़ाकू विमान जैसे मिराज 2000 मिग 29, और सुखोई-30 को लैस किया जाएगा। साथ ही विमानों और देश के संचालन केन्द्रों से सुरक्षित संचार के लिए उपयोग किया जाएगा, जिसकी मदद से युद्ध के दौरान होने वाले संचार को गुप्त रखा जाएगा और दुश्मन पर कड़ा प्रहार किया जाएगा। बता दें कि संचार को सुरक्षित और वायुसेना को शक्तिशाली बनाने के लिए इजराइल से इस डिवाइस के लिए समझौता किया जा चुका है। फिलहाल वायुसेना 400 SDRs खरीद रही है, जोकि भविष्य में गेमचेंजर साबित हो सकती है।

वायुसेना के अधिकारी ने बताया कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान हम अपने पायलटों से बात कर रहे थे, तो उस समय यही डर लग रहा था कि कहीं दुश्मन हमारी बात न सुन ले और इससे पायलट की जान भी जा सकती थी, लेकिन अब सॉफ्टवेयर डिफाइंडर रेडियो की मदद से हमारी ये बातचीत गुप्त रहेंगी, जिससे हम दुश्मन पर आसानी से धावा बोल सकेंगे। मतलब साफ है कि यह डिवाइस भारतीय वायुसेना को पहले से अधिक शक्तिशाली बना देगी।

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