कुंडली में किसी भी तरह का दोष को दूर कर सकता है ये मंत्र, बेहद ही ताकतवर हैं ये मंत्र
कुंडली में किसी भी तरह का दोष होने पर अगर सही मंत्रों का जाप किया जाए तो इन दोषों को खत्म किया जाता है। कुंडली में पितृ दोष, ग्रह अशांत या अन्य तरह के दोष होने से जीवन पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए ये जरूरी होता है कि इन दोषों का निवारण किया जाए ताकि इन दोषों के बुरे प्रभाव से बचा जा सके। अगर आपकी कुंडली में कोई दोष है तो आप नीचे बताए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
बेहद ही ताकतवर होते हैं ये मंत्र, इनका जाप करने से दूर हो जाते हैं हर तरह के दोष
– कुंडली में पितृ दोष होने पर आप श्रीकृष्ण-मुखामृत गीता का पाठ करें। ये पाठ करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाएगी और जीवन पर इस दोष का बुरा असर नहीं पड़ेगा।
– जो लोग अक्सर भय में रहते हैं वो लोग अगर श्रीकृष्ण चरित्र की कथा या श्रीमद्भागवत महा पुराण का पाठ करते हैं, तो उनका भय खत्म हो जाता है। आप चाहें तो इस पाठ को खुद भी कर सकते हैं या फिर किसी पंडित से करवा सकते हैं।
– ग्रह अशांत होने पर आप हवन करें और ‘नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करते हुए देसी घी की कुल 1008 आहुतियां दें। ऐसा करने से आपका ग्रह शांत हो जाएंगे और आपका हर कार्य सफल हो जाएगा। इसके अलावा ‘नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र पढ़ने से भी ग्रह शांत हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंत्र को पढ़ने से हर ग्रहों को शांति किया जा सकता है। आपको जो ग्रह है और उस ग्रह से जुड़े दिन पर इस मंत्र का जाप 101 बार करें।
-अक्सर कुंडली में दोष होने के कारण मानिसक तनाव रहता है और मानिसक तनाव होने के कारण इंसान हर समय दुखी रहता है। अगर आपको भी मानिसक तनाव रहता है तो आप ‘हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे/ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।’ मंत्र का जाप किया करें। रोज इस मंत्र का जाप करने से मानिसक तनाव कम हो जाता है। इस मंत्र को आप शाम के समय 16 बार पढ़ें।
– भगवान श्रीकृष्ण से कई सारे मंत्र जुड़े हुए हैं और द्वादशाक्षर मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का मूलमंत्र है। ये मंत्र काफी ताकतवर मंत्र होता है और इस मंत्र का जाप करने से जीवन से हर परेशानी दूर हो जाती है। अगर आपका कोई काम नहीं बन रहा है तो आप इस मंत्र का जाप जरूर किया करें ये मंत्र इस प्रकार है –
‘नमो भगवते वासुदेवाय। विनियोग: अस्य श्रीद्वादशाक्षर श्रीकृष्णमंत्रस्य नारद ऋषि गायत्रीछंदः श्रीकृष्णोदेवता, बीजं नमः शक्ति, सर्वार्थसिद्धये जपे विनियोगः ध्यान: ‘चिन्ताश्म युक्त निजदोः परिरब्ध कान्तमालिंगितं सजलनैन करेण पत्न्या। ऋष्यादि न्यास पंचांग न्यास नारदाय ऋषभे नमः शिरसि। हृदयाय नमः। गायत्रीछन्दसे नमःमुखे। नमो शिरसे स्वाहा। श्री कृष्ण देवतायै नमः, हृदि भगवते शिखायै वषट्। बीजाय नमः गुह्ये। वासुदेवाय कवचाय हुम्। नमः शक्तये नमः, पादयोः। नमो भगवते वासुदेवाय अस्त्राय फट्।’
इस मंत्र का जाप आप दिन में दो बार कर सकते हैं। एक बार सुबह और दूसरा बार शाम के समय। इस मंत्र का जाप आप मंदिर में बैठकर ही करें और ये मंत्र पढ़ते समय अपने सामने भगवान कृष्ण जी की मूर्ति जरूर रख लें।