सच्चा जीवन साथी पाना चाहते हैं तो जरूर रखें मंगला गौरी का व्रत, जानिये विधि – विधान
मंगला गौरी का व्रत करने से मनचाहा जीवन साथी मिल जाता है। कुंवारी कन्या इस व्रत को जरूर रखा करती हैं और मां गौरी से अच्छे जीवन साथी की कामना करती हैं। इस बार मंगला गौरी के व्रत के साथ ही शिवरात्रि भी आ रही है। जिसके चलते इस व्रत का महत्व और बढ़ गया है।
क्यों कहा जाता है इसे मंगला गौरी व्रत?
सावन का महीना बेहद ही पवित्र महीना होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में ही शिव और पार्वती मां का विवाह हुआ था। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि सावन के महीने में पार्वती मां ने सच्चे मन से पूजा की थी। जिसकी वजह से उन्हें शिव भगवान पति के रूप में मिले थे। पुराणों के अनुसार जो लड़कियां मंगला गौरी का व्रत रखती हैं उन लड़कियों को अच्छा जीवन साथी मिलता है। ये व्रत सावन महीने में मंगलवार के दिन ही आता है। जिसकी वजह से इसे मंगला गौरी कहा जाता है। मंगला गौरी व्रत पार्वती मां के लिए रखा जाता है।
मंगला गौरी व्रत बेहद ही खास होता है और इस व्रत के दौरान मां पार्वती की पूजा करते हुए, नीचे बताई गई वस्तुओं को पूजा में जरूर शामिल किया जाता है। जिनके नाम इस प्रकार हैं-
चौकी, लाल कपड़ा, कलश, गेंहू या चावल, चौ-मुखी दीपक, अगरबत्ती,माचिस, पवित्र मिट्टी, माता गौरा की प्रतिमा, जल, दूध, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर का मिश्रण), माता गौरा के लिए वस्त्र, मौली, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, काजल, सिंदूर, फूल, माला, फल, पान, सुपारी, बिंदी, चूडियां और लिपस्टिक।
मंगला गौरी व्रत की कथा
मंगला गौरी का व्रत रखने से एक कथा जुड़ी हुआ है। कहा जाता है कि एक व्यापारी हुआ करता था और इस व्यापारी के पास खूब धन दौलत थी। लेकिन इस व्यापारी की कोई भी संतान नहीं थी। जिसकी वजह से ये व्यापारी दुखी रहा करता था। संतान पाने के लिए इस व्यापारी और इसकी पत्नी ने खूब सारे व्रत किए और फलस्वरूप इन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। लेकिन उस पुत्र की कुंडली में अल्पायु का योग था। जिसकी वजह से उसकी मृत्यु 17 साल की आयु में होना तय थी। अपने बेटे की मृत्यु की बात सुनकर व्यापारी काफी दुखी रहने लगा। वहीं एक दिन व्यापारी ने सोचा की क्यों ना मैं अपने बेटे का विवाह कि अखंड सौभाग्यवती लड़की से करवा दूं। ऐसा करने से बेटे की मौत नहीं हो सकेगी। व्यापारी को एक लड़की के बारे में पता चला जो कि मंगला गौरी का व्रत रखती थी। व्यापारी ने इस लड़की से अपने पुत्र का विवाह करवा दिया। ये लड़की हर वर्ष सच्चे मन के साथ ये व्रत रखती थी। जिसके कारण इसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त था और ऐसा होने के चलते इसके पति की मृत्यु नहीं हुई और उसे लंबी आयु मिल गई।
ऐसा कहा जाता है कि अगर लड़कियां इस व्रत को रखती हैं तो उनके पति की आयु अधिक हो जाती है। इसलिए हर साल शादीशुदा और कुंवारी कन्या इस व्रत को जरूर रखा करती हैं।