‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र’ का पाठ करने से चुटकियों में दूर हो जाते हैं जीवन के सारे दुख
जीवन में बुरा वक्त आने पर या फिर मनचाही चीज ना मिलने पर आप सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें। ये पाठ बेहद ही असरदार होता है और इस पाठ को पढ़ने से जीवन का हर कार्य सफल हो जाता हैं। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र मां दुर्गा का पाठ है और ये पाठ पढ़ने से मां दुर्गा की कृपा बन जाती है। इस पाठ को कब करना चाहिए और इस पाठ को करने से क्या लाभ जुड़े हुए हैं उसकी जानकारी इस प्रकार है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने का समय
- सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पढ़ने का सबसे उत्तम समय रात के 9 बजे का होता है। इसलिए आप इस पाठ को रात के 9 बजे ही शुरू करें।
- इस पाठ को रात के 11.30 बजे के बाद नहीं पढ़ा जाता है। इसलिए आप जब भी ये पाठ करें तो इसे 9 बजे शुरू करें और 11.30 से पहले खत्म कर दें।
- इस पाठ को आप लाल रंग के आसन पर ही बैठकर करें। जब आप ये पाठ करें तो उस समय अपने दायें तरफ एक घी का दीपक जला लें और बाएं तरफ एक तेल का दीपक जला दें। दीपक जलाने के बाद ही आप इस पाठ को शुरू करें।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ –
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।
अथ मंत्र :-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र से जुड़े फायदे
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ को बेहद ही शक्तिशाली पाठ माना जाता है और इस पाठ को पढ़ने से देवी मां आपकी रक्षा करती हैं। भगवान शिव के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले लोगों को दुर्गा पाठ करने जीतना फल प्राप्त होता है। इस पाठ को पढ़ने से मन शांत रहता है और जीवन में किसी भी तरह का तनाव नहीं आता है। इसलिए जिन लोगों के जीवन में दुख और तनाव रहता है उन लोगों को ये पाठ जरूर पढ़ना चाहिए।