J&K: फारुख़ अब्दुल्ला के देश विरोधी बोल, ‘अगर 35-A हटा तो संविधान की हर धारा हटेगी’
भाजपा सरकार ने सत्ता में आने से पहले अपने घोषणा पत्र में जनता को भरोसा दिलाया कि इस बार जम्मू एंड कश्मीर से धारा 370 और 35A हटा दिया जाएगा। सभी चाहते हैं जम्मू एंड कश्मीर में एक सरकार बन जाए और वहां शांति का माहौल बन जाए। पिछले दिनों कश्मीर की घाटियों में सरकार ने करीब 10 हजार सैनिक तैनात किए हैं और ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये सब 35A हटाने की तैयारी है। मगर ऐसा करना कुछ लोगों को बर्दाश्त नहीं है तभी तो ‘अगर 35-A हटा तो संविधान की हर धारा हटेगी’ -फारुख़ अब्दुल्ला, चलिए बताते है क्या है ये मामला ?
‘अगर 35-A हटा तो संविधान की हर धारा हटेगी’ -फारुख़ अब्दुल्ला
जम्मू एंड कश्मीर में लगबग 10 हजार सुरक्षाबलों की तैनाती पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कई सवाल उठा लिए हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ”अनुच्छेद 35-ए को नहीं हटाया जाना चाहिए और हम चाहते हैं कि राज्य में तुरंत विधानसभा चुनाव होना चाहिए। यहां पर नए मुख्यमंत्री की आवश्यकता है।” फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य में एक लाख सुरक्षा बलों को भेजकर दहशत का माहौल बनाया जा रहा है. राज्य इस समय शांतिपूर्ण दौर से गुजर रहा था, लेकिन इन सुरक्षा बलों को भेजे जाने के बाद लोगों में डर पैदा हो गया है कि कहीं फिर से यहां दंगा ना छि़ड़ जाए। आखिर आवाम (जनता) के बीच डर क्यों पैदा किया जा रहा है? इसके अलावा फारूक अब्दुल्ला ने धमकी भरे शब्दों में कहा है कि अगर ये लोग (भारत सरकार) धारा 35-A हटाते हैं कि तो उन्हें यहां से संविधान की हर धारा हटानी पड़ेगी. उन्हें साल 1947 के दौर में जाकर राज्य के लिए अलग से नीति बनानी होगी। इसके पहले राज्य में राजनीतिक दल किसी तरह का खौफ पैदा नहीं करें।
28 जुलाई यानी रविवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस बारे में बहुत कुछ कहा था। उन्होंने कहा था कि राज्य से धारा 35-A हटाना बारूद में आग लगाने जैसा काम हो सकता है। महबूबा मुफ्ती ने उत्तेजक भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा कि अगर कोई हाथ धारा 35-A को छूने की कोशिश करेगा तो उसका ना सिर्फ हाथ जलेगा, बल्कि सारा शरीर जलकर राख बन जाएगा.
क्या है की धारा ?
अनुच्छेद 35-a को साल 1954 में अनुच्छेद नेहरू कैबिनेट की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के एक आदेस से संविधान से जोड़ा गया था। इसका आधार साल 1952 में तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच एग्रीमेंट हुआ था। इसमें भारतीय नागरिकता के मामले को जम्मू कश्मीर के संदर्भ में राज्य का मेन टॉपिक माना गया था। अनुच्छेद 35-A से जम्मू कश्मीर राज्य के लिए स्थायी नागरिकता के नियम और नागरिकों के अधिकार तय किए जाते हैं।