युद्ध में गोलियां ख़त्म हुई तो लात-घूंसों से ही 4 पाकिस्तानियों को किया था अधमरा, मिला ये सम्मान
हाल ही में 26 जुलाई को देशभर में कारगिल विजय दिवस मनाते हुए शहीदों और अन्य जवानों को याद किया गया. ऐसे में आज हम आपको पंजाब के एक ऐसे वीर सैनिक की गाथा सूना रहे हैं जिसने बंदूक की गोलियां ख़त्म होने के बावजूद हाथ पैर का इस्तेमाल कर पाकिस्तानियों के चक्के छुड़ा दिए थे. इस जाबाज़ सिपाही का नाम सतपाल सिंह हैं जिसे वीर चक्र से भी सम्मानित किया जा चूका हैं.
ये बात 7 जुलाई की हैं. हुआ ये था कि 19 ग्रेनेडियर्स की टुकड़ी टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने वाली थी ऐसे में इनकी सहायता के लिए 8 सिख रेजिमेंट की एक टुकड़ी को भेजा गया. इसी टुकड़ी में हमारे जाबाज़ सतपाल सिंह भी शामिल थे. 5 जुलाई को ये टुकड़ी निकली थी जिसके बाद 7 जुलाई को टयागर हिल पर पाकिस्तान ने इन्हें पीछे खदेड़ने के लिए हमला किया था. इस दौरान भारत की टुकड़ी ने जमकर मुकाबला किया. इसमें 8 सैनिक शहीद हो गए थे. इधर सूबेदार निर्मल सिंह के सिर में गोली लगी होने के बावजूद ‘बोले सो निहाल-सत श्री अकाल’ का नारा दहाड़ा और पाकिस्तानियों की तरफ बढ़ लिए.
इधर हमारे जाबाज़ सिपाही सतपाल की की लाइट मशीन गन में सिर्फ 4 गोलियां शेष रह गई थी. उनके सामने खड़ा था पकिस्तान का लम्बा चौड़ा आकार का एक अफसर. ये अफसर कवरिंग मैथड की सहायता लेते हुए धड़ाधड़ फायरिंग कर रहा था. थोड़ी देर बाद बात गाली गलोच से हाथ पाई पर उतर आई. ऐसे में सतपाल ने उस पाक अफसर को पकड़ जमीन पर दे मारा. ऐसे में जब पाकिस्तान के तीन लोग अपने अफसर को बचने आए तो वो सतपाल के ऊपर ही चढ़ गए. लेकिन सतपाल ने उन तीनो को भी जोरदार पटकनी दे दी. फिर अकेले सतपाल ने ही चार लोगो को लात घूंसे और बेल्ट से ऐसा मारा कि वे अदमरे हो गए. उधर सतपाल का ये किस्सा सुन पाकिस्तानियों के मन में खौफ पैदा हो गया. दरअसल सतपाल ने जिस व्यक्ति को मारा था वो पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-हैदर से नवाज़ा गया था. वो शख्स टुकड़ी का कप्तान था. सतपाल कि इस बहादुरी के बाद साल 1999 में राष्ट्रपति केआर नारायणन ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया था.
सेना से रितायार होने के बाद भी सतपाल देश की सेवा करना चाहते थे इसलिए उन्होंने पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली थी. वर्तमान में वे संगरूर जिले के कस्बा भवानीगढ़ में ट्रैफिक पुलिस में बतौर हेड कॉन्स्टेबल काम कर रहे हैं. कारगिल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें प्रमोशन का तोहफा देते हुए एएसआई बनाने की घोषणा की हैं. बता दे कि सतपाल मूल रूप से पटियाला जिले के गांव फतेहपुर के रहने वाले हैं. सतपाल के पिता अजायब सिंह भी भारतीय सेना का हिस्सा रह चुके हैं. उन्हें देश की सेवा की प्रेरणा अपने पिता से ही मिली हैं. सतपाल के परिवार में उनकी बूढी माँ, पत्नी और तीन बच्चे हैं.
देश के इस जाबाज़ सैनिक की वीर गाथा सुन आज हमारा सेना भी गर्व से चौड़ा हो गया. यदि आपको भी सतपाल की ये बहादुरी पसंद आई तो इसे शेयर जरूर करे.