करगिल युद्ध के 20 साल, जाने उस दिन कैसे हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को धुल चाटने पर किया था मजबूर
आज (26 जुलाई) भारत के लिए काफी गर्व का दिन हैं. इसकी वजह ये हैं कि आज से 20 साल पहले भारत के जाबाज सैनिको ने सरहद पार करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तान को धुल चटाई थी. करगिल युद्ध की इस लड़ाई में भारत को विजय हासिल हुई थी. इस दौरान भारत के पाकिस्तानियों को करगिल की पहाड़ी से खदेड़ते हुए वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था. इस खुशनुमा दिन के अवसर पर द्रास, करगिल की हवाओं में दुबारा देशभक्ति की महक फैलने लगी हैं. कानो में देशभक्ति का संगीत गूंजने लगा हैं. कारगिल में आज भी हवाओं में देशभक्ति और शौर्य महसूस किया जा सकता हैं.
इस गर्वान्वित अवसर पर यहां शहीदों की याद में मेला भी लगा हुआ हैं. इन शहीदों की बहादुरी और शहादत को सम्मान देने के लिए देश के कोने कोने से लोग आ रहे हैं और द्रास स्थित शहीद स्मारक में के दर्शन कर रहे हैं. आज करगिल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के शहीदों को याद किया हैं. इसके अलावा देश के अन्य नेता भी इन्हें सम्मान प्रकट कर रहे हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारत और पाकिस्तान के मध्य साल 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था. 8 मई 1999 को ये युद्ध शुरू हुआ था. तब पाकिस्तान के सैनिक और कश्मीरी आतंकी कारगिल की पहाड़ी पर गलत इरादों से देखे गए थे. ऐसा माना जाता हैं कि पाकिस्तान इस नापाक हरकत की तैयारी 1998 से ही कर रहा था. हालाँकि इसके बावजूद उन्हें भारतीय सैनिको के शौर्य के आगे धुल चाटना पड़ा था.
इस दौरान पाकिस्तान का एक बड़ा झूठ भी पकड़ा गया था. दरअसल पाकिस्तान का कहना था कि भारत में घुसपैठ करने वाले लोग सिर्फ मुजाहिद्दीन थे, इसमें पाकिस्तानी सेना का कोई हाथ नहीं था. हालाँकि बाद में . पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने इस पोल को खोलते हुए कहा था कि इसमें पाकिस्तान के रेगुलर फैजी भी शामिल थे. मतलब कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना का भी बराबर हाथ था.
एक और अजीब बात ये भी हैं कि जब कारगिल में लड़ाई शुरू नहीं हुई थी उसके कुछ हफ़्तों पहले ही जनरल परवेज मुशर्रफ हेलिकॉप्टर में सवार हो कर नियंत्रण रेखा लांघ गए थे. इतना ही नहीं उन्होंने भारतीय जमीन के 11 किलोमीटर अंदर एक गुप्त स्थान पर पूरी रात भी गुजारी थी. इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने अपने 5 हजाए फैजी कारगिल पर चढ़ाई के लिए भेजे थे.
बाद में उस समय के पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी खुद ये बात मानी थी कि करगिल का युद्ध उनकी पाकिस्तानी सेना के लिए नुकसानदायक रहा था. इस युद्ध में पाकिस्तान को अपने दो हजाए सात सौ सैनिको की जान गवानी पड़ गई थी. इसके अतिरिक्त 1965 और 1971 के युद्ध के कारण भी पाकिस्तान में आपदा आ गई थी.
इधर द्रास स्मारक में आज के दिन हर भारतीय अपने देश के शहीद करगिल जाबाजों के किस्से याद कर रहा हैं. इस युद्ध के बाद से भारत ने भी सिख ली और अब वो पाकिस्तान को लेकर हमेशा सख्त रवैया ही अपनाता हैं.