इंसान को अहंकार करने से बचना चाहिए और सदा औरों का सम्मान करना चाहिए
अहंकार एक ऐसी चीज है जो अच्छे खासे कामों को बिगड़ा देता है। अहंकारी व्यक्ति अपने सामने हर किसी को छोटा ही समझता है और लोगों का अपमान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता है। रावण को भी सबसे बड़ा अहंकारी माना जाता था और अपने ज्ञान के आगे रावण हर किसी को छोटा ही समझता था। रावण के अहंकार से कई तरह की कथाएं जुड़ी हुई हैं और इन्हीं कथाओं में से एक कथा रावण और शिव भगवान की है।
रावण और शिव भगवान की कथा
रावण को शिव भगवान का सबसे बड़ा भक्त माना जाता था। रावण से जुड़ी एक कथा के अनुसार रावण ने सभी ग्रहों को अपना कैदी बना रखा था। एक दिन रावण ने सोचा की मैं सोने की लिंका में रहता हूं और शिव भगवान कैलाश में। तो मैं क्यों ना शिव भगवान को अपने साथ सोने की लंका में ले आऊ। शिव भगवान को अपने साथ लाने के लिए रावण उनके निवास स्थान यानी कैलाश पर्वत चले गया। कैलाश पर्वत में जाकर रावण को सबसे पहले नंदी मिला। नंदी ने रावण को देखकर, रावण को प्रणाम किया। लेकिन रावण अपने आगे हर किसी को छोटा ही मानता था और इस अहंकार की वजह से रावण ने नंदी के प्रणाम का जवाब नहीं दिया और नंदी का खूब अपमान किया। नंदी का अपमान करने के बाद रावण ने नंदी को कहा कि मैं शिव भगवान को अपने साथ लंका ले जाने के लिए आया हूं और अब से शिव भगवान मेरे साथ लंका में ही रहने वाले हैं। रावण की ये बात सुनकर नंदी ने कहा, ऐसा कैसे हो सकता है। कैलाश ही शिव भगवान का घर है। रावण और नंदी की ये सारी बाते शिव भगवान सुन रहे थे। तभी रावण ने क्रोधित होकर नंदी से कहा कि तुम नहीं जानते मैं कितना शक्तिशाली हूं। मैं कैलाश पर्वत को उठाकर इसे अपने साथ लंका ले जा सकता हूं। ये कहते ही रावण ने कैलाश पर्वत को उठा लिया और कैलाश पर्वत पूरी तरह से हिलने लगा।
तब शिव भगवान ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया और रावण का हाथ कैलाश पर्वत के नीचे फंस गया। रावण ने लाख कोशिश की मगर उसका हाथ नहीं निकल पाया। फिर रावण ने शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र की रचना की। जिसके बाद शिव भगवान ने रावण को माफ कर दिया।
रावण के जीवन की इस कथा से हमें इस बात का ज्ञान मिलता है कि कभी भी इंसान को किसी भी चीज पर अहंकार नहीं करना चाहिए। रावण को अपनी ताकत पर अहंकार था और इस अहंकार को शिव भगवान ने मिनटों में खत्म कर दिया। वहीं कुछ समय बाद हनुमान ने रावण की सोने की लंका भी जला दी। इस तरह से रावण को जिन दो चीजों पर सबसे ज्यादा अहंकार था वो उसके पास नहीं रही। इसलिए आप भी अपने जीवन में किसी चीज पर अहंकार ना करें और ना ही औरों का अपमान करें।