न्यूजीलैंड खिलाड़ियों ने बयां की अपनी दर्दनाक सच्चाई, कोई धोता है बस तो कोई हो जाता है बेरोजगार
14 जुलाई को न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप-2019 का फाइनल मैच हुआ था जिसमे इंग्लैंड को चैम्पियन टीम घोषित कर दिया गया। दिखने में भले ही इंग्लैंड ने बेहतर खेला हो लेकिन खेल के मामले में न्यूजीलैंड की खूब तारीफ हो रही है। हर कोई इस टीम को सैल्यूट कर रहा है क्योंकि इस टीम ने वाकई अच्छा खेला और इसके गवाह हर वो क्रिकेट प्रेमी हैं जिन्होंने पूरा मैच देखा है। मगर हर क्रिकेटर्स की जिंदगी अच्छी नहीं होती है और न्यूजीलैंड खिलाड़ियों ने बयां की अपनी दर्दनाक सच्चाई, इनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
न्यूजीलैंड खिलाड़ियों ने बयां की अपनी दर्दनाक सच्चाई
आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 की जब शुरुआत हुई थी तब न्यूजीलैंड की टीम सेमीफाइनल में पहुंच सकती है इसका दावा कर दिया गया था। न्यूजीलैंड ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सबको चौंका दिया लेकिन फिर भी ये टीम हार गई। इसमें खास बात ये रही कि इस टीम में एक से बढ़कर एख खिलाड़ी हैं लेकिन कोई विराट, धोनी या वॉर्नर जैसा मशहूर नहीं है। इस टीम के कप्तान विलियमसन बल्लेबाजी तकनीक और कप्तानी में कोहली से काफी आगे हैं लेकिन फिर भी इनका नाम बहुत कम लोग ही जानते हैं और ये अपना जीवन आम लोगों की तरह जीते हैं। कभी-कभी तो वे ऐसी जिंदगी जीते हैं जो एक रिटायर्ड खिलाड़ी की तरह हो जाती है। कहने का मतलब ये है कि न्यूजीलैंड खिलाड़ियों के लिए रिटायरमेंट के बाद घर चलाना भी मुश्किल हो जाता है। भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेटर्स बेशुमार पैसा कमाते हैं लेकिन न्यूजीलैंड के साथ ऐसा नहीं है उनके हालात हर देश के खिलाड़ियों से बहुत अलग है। इस टीम के खिलाड़ियों को इतनी ज्यादा सैलरी नहीं मिलती है जितनी विराट, धोनी, मॉर्गन और फिंच को दी जाती है।
क्रिस केर्न्स और मैथ्यू सिंक्लेयर ने न्यूजीलैंड क्रिकेट के दो ऐसे नाम हैं जिन्होंने बतौर क्रिकेटर बहुत कुछ हासिल किया है लेकिन जब ये दोनों खिलाड़ी इस खेल से अलग हुए तो उनके लिए जीवन काटना भी मुश्किल हो गया। न्यूजीलैंड के पॉपुलर क्रिकेटर्स में एक क्रिस केर्न्स पर कुछ पांच साल के मैच फिक्सिंग का आरोप लगा था और इसकी वजह से उऩ्हें कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी जिसमें उनकी आर्थिक हालत बुरी तरह खराब हो गई थी। फिक्सिंग के आरोप से वे बरी हो गए लेकिन आज उनका जीवन बहुत मुश्किल से कट पा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 44 साल के केर्न्स ने परिवार को चलाने के लिए ऑकलैंड में बस और ट्रक धोने का काम करना पड़ा है।
मैथ्यू सिंक्लेयर भी रहे बेरोजगार
दाएं हाथ के बेहतरीन बल्लेबाज मैथ्यू ने अपे टेस्ट डेब्यू में ही डबल सेंचुरी मार दी थी, लेकिन रिटायमेंट के बाद ये खिलाड़ी एक-एक रुपये का मोहताज हो गया। साल 2013 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने वाले मैथ्यू इस समय बेरोजगार हैं और इनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। खराब स्तिति के कारण इनका पारिवारिक जीवन भी खतरे में पड़ गया है। पढ़ाई पूरी नहीं कर पाने की वजह से इन्हें नौकरी भी नहीं मिल रही है, हालांकि बाद में उन्हें नेपियर में रियल एस्टेट में सेल्स पर्सन का काम बहुत मुश्किल से मिल ही गया है।