किन्नर समुदाय अपने ‘गुरु’ के लिए करते है ये काम, फ़ैल होने पर मिलती हैं सजा
आज 16 जुलाई देशभर में गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जा रहा हैं. इस दिन हर कोई अपने गुरुओं को धन्यवाद कहता हैं, उन्हें कोई गिफ्ट देता हैं या फिर उनके पुर छूकर आधिर्वाद भी लेता हैं. ऐसे में आज हम आपको किन्नर समुदाय के गुरु के बारे में कुछ दिलचस्प बाते बताने जा रहे हैं. किन्नर वे लोग होते हैं जिन्हें मर्द और औरत का मिला जुला रूप कहा जाता हैं. इन्हें थर्ड जेंडर केटेगरी में रखा जाता हैं. वैसे तो हर कोई कभी ना कभी इन किन्नर समुदाय से टकरा ही जाता हैं, लेकिन इनके बारे में डिटेल में जानकारी बहुत ही कम लोगो को होती हैं. आमतौर पर लोग इनसे बचने की कोशिश करते हैं ताकि उन्हें जेब से पैसे निकाल नहीं देना पड़े. लेकिन इनका समुदाय भी बड़ा दिलचस्प होता हैं. इनके अपने कुछ कायदे कानून होते हैं जिनका ये सख्ती से पालन भी करते हैं.
किन्नर समुदाय के लोग अलग अलग ग्रुप बनाकर रहते हैं. ये ग्रुप इलाके के हिसाब से बटे हुए होते हैं. हर ग्रुप में इनका एक गुरु (लीडर) होता हैं. किन्नर लोग अपने गुरु की काफी इज्जत करते हैं. वे उनकी कही हर बात मानते हैं. उनके लिए उनका गुरु माँ भी होता हैं और बाप भी होता हैं. जब भी कोई नया व्यक्ति अपना लिंग परिवर्तित कर इस ग्रुप में शामिल होने चाहता हैं तो उसके पहले उस व्यक्ति को गुरु की परमिशन लेनी पड़ती हैं. यदि गुरु हां बोल देता हैं तो बाकी किन्नर लोग उसकी इस काम में मदद भी करते हैं.
हर ग्रुप में मौजूद गुरु के अपने अलग क़ानून और कायदे होते हैं. ये नियाम बाकी गुरुओं से थोड़े अलग भी हो सकते हैं. एक गुरु का कर्तव्य होता हैं कि वो अपने ग्रुप के सभी किन्नरो को आपस में जोड़कर ही रखे. इनके बीच कोई लड़ाई झगड़ा ना हो. साथ ही इनकी सुख सुविधाओं और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी गुरु ही रखता हैं. यही वजह हैं कि ये किन्नर अपने गुरु की कही बात कभी नहीं टालते हैं.
गुरु के लिए किन्नर करते हैं ये काम
गुरु किन्नर समुदाय में हर किन्नर को एक खास काम देता हैं. मसलन अधिकतर किन्नरों को एक तय रकम का पैसा लाने का टारगेट दिया जाता हैं. ऐसे में इन किन्नरों को एक निश्चित समय में तय राशि लाकर गुरु को देनी पड़ती हैं. यदि कोई किन्नर ऐसा करने में असफल हो जाता हैं तो उसे सजा के तौर पर इस काम से हटा दिया जाता हैं और खिदमत, सेवा, घरेलु कार्य से संबंधित काम दे दिया जाता हैं.
गुरु किन्नर के बनाए कानून बेहद सख्त होते हैं. यदि कोई किन्नर बार बार इनका उलंघन करता हैं, गुरु की बात नहीं मानता या उनसे बगावत करता हैं तो इसे कड़ी सजा दी जाती हैं. कई मामलो में उसे ग्रुप से बेदखल भी कर दिया जाता हैं. एक अकेला किन्नर अपनी जीविका आसानी से नहीं चला सकता हैं, उसे इस समाज में अच्छे से रहने के लिए ग्रुप की जरूरत होती हैं. यही वजह हैं कि किन्नर अपने गुरु की हर बात और नियम मानते हैं.