जानिए क्या है चातुर्मास और इस दौरान क्यों वर्जित हैं शुभ कार्य करना
श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने को चातुर्मास माह कहा जाता है और इस महीने के दौरान साधना, ध्यान, व्रत और पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। हमारे शास्त्रों में चातुर्मास के दौरान शुभ कार्य ना करने की सलाह दी गई है। शास्त्रों में लिखा गया है कि इन चार महीनों के दौरान इंसान को केवल साधना और पूजा ही करनी चाहिए और भगवान के नाम का ही जाप करना चाहिए। जो लोग इस माह के दौरान साधना और पूजा करते हैं उन लोगों की शारीरिक और मानसिक स्थिति सही रहती है।
कब शुरु होता है चातुर्मास माह
चातुर्मास माह श्रावण महीने के साथ शुरू होता है और चातुर्मास का प्रारंभ ‘देवशयनी एकादशी’ के साथ होता है। जबकि कार्तिक महीने में आने वाली एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी के दिन चातुर्मास माह खत्म हो जाता है। इस साल चातुर्मास 15 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसलिए आप 15 जुलाई से कोई भी शुभ काम ना करें और अपना ध्यान पूजा और साधना में लगाए रखें।
चातुर्मास माह के दौरान ना करें इन चीजों का सेवन
चातुर्मास माह के दौरान कई ऐसी चीजें है जिनका सेवन करना वर्जित माना गया है और इन चीजों को खाने से पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है। शास्त्रों के अनुसार इन चार महीनों के दौरान वातावरण अच्छा नहीं होता है और जल में बैक्टीरिया की तादाद बढ़ जाती है। इसलिए इन चार महीनों के दौरान गलत तरह का खाना खाने से पाचन शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। चातुर्मास के दौरान, तला हुआ खाना, प्याज, लहसुन, दही, मास और इत्यादि चीजे खाना सही नहीं माना गया है।
जरूर रखें उपवास
चातुर्मास में उपवास रखना उत्तम होता है और इस माह के हर हफ्ते में एक व्रत जरूर रखना चाहिए। इसके साथ ही उपवास से जुड़े नियमों का पालन भी करना चाहिए और उपवास के दौरान केवल फल और पानी का ही सेवन करना चाहिए। इस व्रत के दौरान साबूदाने का सेवन करना भी वर्जित माना जाता है।
व्रत के दौरान पालन करें इन नियमों :
- सूर्योदय से पहले उठें और घर की सफाई कर स्नान करें।
- स्नान करन के बाद मंदिर की सफाई करें और भगवान विष्णु के सभी अवतारों की पूजा करें। मंदिर में घी का दीपक भी जरूर जलाएं।
- केवल फल या जल का ही सेवन करें और अन्य किसी भी तरह की चीज ना खाएं।
- इस दौरान केवल फर्श पर ही सोना चाहिए और जमीन पर ही बैठें।
- जितना हो सके मौन रहें और भगवान के नाम का जाप करें।
- पंडितों की सेवा करें और उनको भोजन करवाने के बाद ही अपना व्रत अगले दिन तोड़े।
ये कार्य करना है वर्जित
चातुर्मास के दौरान शुभ कार्य करना वर्जित होता है। शास्त्रों के अनुसार इन चार महीनों के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, कोई नया वाहन, शादी तय करना, जातकर्म संस्कार और इत्यादि तरह के काम नहीं करने चाहिए। इस माह के दौरान किए गए शुभ कार्य सफल साबित नहीं होते हैं। इसलिए आप ये माह खत्म होने के बाद ही शुभ कार्यों की शुरुआत करें।