वासुदेव द्वादशी का व्रत रखने से होती है पुत्र की प्राप्ति, पढ़ें इस व्रत से जुड़ी कथा
वासुदेव द्वादशी व्रत रखने से पुत्र की प्राप्त होती है। वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी की पूजा की जाती है। ये व्रत हर साल देवशयनी एकादशी के अगले दिन आता है। इस साल ये व्रत 13 जुलाई के दिन आ रहा है और जो लोग पुत्र चाहते हैं वो लोग इस दिन वासुदेव द्वादशी का व्रत जरूर रखें। इस व्रत को रखने से एक कथा जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार ये व्रत रखने के कारण ही देवकी और वासुदेव को भगवान श्री कृष्ण जी पुत्र के रुप में प्राप्त हुए थे। तो आइए पढ़ते हैं इस व्रत से जुड़ी कथा।
वासुदेव द्वादशी व्रत से जुड़ी कथा
ऐसा कहा जाता है कि जब देवकी और वासुदेव जेल में बंद थे। तब इनसे नारद मुनि मिलने के लिए जेल आए थे। नारद मुनि ने देवकी और वासुदेव से मिलकर उन्हें सलाह दी थी कि वो वासुदेव द्वादशी व्रत रखें। इस व्रत को रखने से उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। नारद मुनि के सुझाव को मानते हुए देवकी और वासुदेव ने ये व्रत रखा और इस व्रत को रखने के कुछ ही महीनों के बाद देवकी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जो कि भगवान श्रीकृष्ण थे।
ये व्रत रखने से पुत्र की प्राप्ति के साथ-साथ बुरी किस्मत भी सही हो जाती है और भाग्य एकदम से खुल जाता है। इसलिए आप लोग इस व्रत को जरूर रखें। ये व्रत कैसे रखा जाता है और इस व्रत के दौरान पूजा कैसे की जाती है, इसकी जानकारी इस प्रकार है।
- वासुदेव द्वादशी व्रत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी पूजा की जाती है।
- वासुदेव द्वादशी व्रत के दिन आप सूर्योदय होने से पहले उठकर अपने घर की सफाई करें।
- घर की सफाई करने के बाद आप स्नान कर नए वस्त्र धारण करं। हो सके तो आप पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद आप अपने मंदिर में एक चौकी रखें और इस चौकी के ऊपर पीले रंग का वस्त्र बिछा लें।
- चौकी के ऊपर आप भगवान श्री कृष्ण, रुक्मणी, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति रख दें।
- भगवान की भोग लगाने के लिए आप खीर बना लें और इसके अंदर तुलसी का पत्ता जरूर डाल दें।
- पूजा करते समय आप भगावन को फूल अर्पित करें और व्रत रखने का संकल्प करें।
- इसके बाद आप भगवान का ध्यान करें और चौकी के पास एक घी का दीया भी जला लें।
- पूजा पूरी होने के बाद आप भगवान को खीर का भोग लगाएं और अंत में आरती करें।
- भगवान का सामने रखा दिया पूरा दिन जलना चाहिए।
- इस व्रत के दौरान आप केवल दूध और फल का ही सेवन करें।
- वासुदेव द्वादशी के दिन आप विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना फायदेमंद होता है और ऐसा करना से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
- अगले दिन आप स्नान करने के बाद अपना व्रत तोड़े दें और हो सके तो व्रत के अगले दिन कन्या को भोजन भी जरूर कर वा दें।
जो लोग सच्चे मन से वासुदेव द्वादशी का व्रत रखते हैं उन लोगों को ये व्रत रखने का फल जरूर प्राप्त होता है और उनके घर में पुत्र का जन्म होता है।