अध्यात्म

16 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा, इस दिन की जाती है अपने गुरुओं की पूजा, जानें इस पर्व का महत्व

गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है और ये पर्व गुरुओं यानी शिक्षकों को समर्पित है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा की जाती है और उनसे आशीर्वाद हासिल किया जाता है। हमारे शास्त्रों में गुरु को उच्च स्थान दिया गया है और हमारे शास्त्रों में लिखा गया है कि गुरु का अपमान करना सबसे बड़ा पाप है। शास्त्रों के अनुसार अगर भगवान आपको कोई श्राप दें, तो उस श्राप का हल निकाला जा सकता है और उस श्राप से बचा भी जा सकती है। लेकिन अगर कोई गुरु अपने शिष्य को श्राप दे तो उससे बचा नहीं जा सकता है। इसलिए आप कभी भी अपने गुरुओं का अपमान ना करें। हमारे कई ग्रंथों में गुरुओं के सम्मान से कई सारी कथाएं जुड़ी हुई हैं और इन्हीं कथाओं में से सबसे प्रसिद्ध कथा एकलव्य और गुर द्रोणाचार्य  की है। Guru Purnima 2019, 16 July 2019, Guru Purnima

एकलव्य की कहानी

एकलव्य महाभारत का एक पात्र है और एकलव्य की कहानी हमें एक सच्चे शिष्य की परिभाष देती है। दरअसल एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखना चाहते थे। लेकिन गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से मना कर दिया। जिसके बाद एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की एक मूर्ति बनाई और रोज इस मूर्ति के सामने धनुष चलाने का अभ्यास शुरू कर दिया। कुछ ही समय में एकलव्य धनुर्विद्या में माहिर हो गया।

वहीं एक दिन गुरु द्रोणाचार्य को एकलव्य के बारे में पता चला। जिसके बाद गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से मिलकर उनसे उनके गुरु के बारे में पूछा। तब एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को बताया की वो रोज उनकी मूर्ति के सामने अभ्यास करते हैं और वो उन्हें (गुरु द्रोणाचार्य) अपना गुरु मानते हैं। गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य की ये बात सुनने के बाद एकलव्य से अपनी गुरु दक्षिणा मांगी और एकलव्य से कहा कि वो अपना अंगूठा उन्हें गुरु दक्षिणा में दे दें। एकलव्य ने बिना कोई सवाल किए गुरु द्रोणाचार्य को अपने अंगूठा काट कर दे दिया। दरअसल एकलव्य की धनुष चलाने की कला को देकर  गुरु द्रोणाचार्य काफी हैरान रहे गए थे और गुरु द्रोणाचार्य नहीं चाहते थे कि उनके शिष्य अर्जुन से उत्तम कोई और धनुष चलाना सीखे। जिसकी वजह से उन्होंने एकलव्य से उसका अंगूठा मांग लिया ताकि एकलव्य जीवन में फिर कभी धनुष ना चला सके।

कब आती है गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन आती है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। पुराने समय में इस पर्व को बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता था और पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते थे। गुरुओं के अलावा इस दिन मां-पाप की पूजा भी की जाती है और उनसे  भी आशीर्वाद लिया जाता है।

इस साल कब है गुरु पूर्णिमा

इस साल यानी 2019 को गुरु पूर्णिमा का पर्व जुलाई महीने की 16 तारीख को आ रहा है। ये पर्व 16 जुलाई को 01:48 पर  प्रारंभ होगा और अगले दिन यानी 17 जुलाई को समाप्त होगा। इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन कई तरह के शुभ संयोग भी बन रहे हैं।

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