दूसरों में कमियां निकालने से पहले अपनी कमियों को सही करने का प्रयास करें
एक कथा के अनुसार एक बार गौतम बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गांव में गए। ये गांव गौतम बुद्ध को बेहद ही पसंद आया और उन्होंने अपने शिष्यों को कहा कि वो कुछ दिनों के लिए इस गांव में रहने वाले हैं। गौतम बुद्ध के गांव में आने की खबर धीरे-धीरे सभी लोगों तक पहुंच गई और हर कोई गौतम बुद्ध के पास आकर उनके दर्शन करने लगा। इस गांव में एक महिला रहती थी और इस महिला को जब गौतम बुद्ध के बारे में पता चला तो ये महिला भी गौतम बुद्ध से मिलने के लिए उनके पास आई। गौतम बुद्ध से मिलकर इस महिला ने उनसे कहा, मैं आप से एक सवाल पूछना चाहती हूं? गौतम बुद्ध ने महिला को सवाल पूछने की इजाजत दे दी। जिसके बाद महिला ने गौतम बुद्ध से कहा, आप एक राजकुमार हैं और आप काफी युवा भी है। आप ने ये जीवन क्यों चुना ? महिला का ये सवाल सुनने के बाद गौतम बुद्ध ने उससे कहा, मैंने तीन सवालों का जवाब तलाश ने के लिए संन्यास का जीवन चुना है।
महिला ने गौतम बुद्ध से पूछा कि आखिर वो कौन से तीन सवाल हैं। तक गौतम बुद्ध ने महिला से कहा, क्यों हमारा शरीर वृद्ध होता है? फिर बीमार पड़ता है और बाद में हमारी मृत्यु हो जाती है? मैं वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु होने का कारण पता करना चाहता हूं। गौतम बुद्ध की ये बात सुनकर महिला उनसे काफी प्रभावित हो गई और महिला ने गौतम बुद्ध से कहा, क्या आप आज मेरे यहां आकर भोजन कर सकते हैं। गौतम बुद्ध ने महिला की इस विनती को मान लिया। वहीं जैसे ही गांव वालों को ये बात पता चली तो गांव वालों ने गौतम बुद्ध से कहा कि वो उस महिला के घर ना जाएं। गौतम बुद्ध ने गांव वालों से महिला के घर ना जाने का कारण पूछा। तब गांव के मुखया ने गौतम बुद्ध से कहा, जिस महिला ने आपको अपने घर बुलाया है वो महिला चरित्र हीन है। इसलिए हम आपको इस महिला के घर ना जाने की सलाह दे रहे हैं।
गांव के मुखया की ये बात सुनकर गौतम बुद्ध ने उनसे कहा, क्या आप मुझे अपना हाथ दिखाएंगे। गांव के मुखया ने अपना एक हाथ गौतम बुद्ध के सामने किया और गौतम बुद्ध ने हाथ पकड़ कर मुखया से कहा, आप अब ताली बजाओं। मुखया ने गौतम बुद्ध से कहा मैं एक साथ से कैसे ताली बजा सकता हूं। गौतम ने मुखया से कहा जिस तरह से हम एक हाथ से ताली नहीं बजा सकते हैं। ठीक उसी तरह से कोई महिला अकेले ही चरित्रहीन नहीं हो सकती है। अगर इस गांव के पुरुष चरित्र हीन नहीं होते तो वो महिला भी चरित्र हीन नहीं होती है। गौतम बुद्ध की ये बात सुनकर हर किसी को अपनी गलती का एहसास हुआ।
कथा की सीख – अगर हम अच्छे होंगे तभी ये समाज सुधर पाएगा। इसलिए दूसरों में कमियां निकालने से पहले अपनी कमियों को सही करने का प्रयास करें।