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10 जुलाई से शुरु हो रहे हैं दुर्गा मां के गुप्त नवरात्री, इस तरह करें देवी मां की अराधना

एक बार फिर दुर्गा मां की अराधना का समय आ गया है औऱ नवरात्री से भारत के कई मंदिर सजेंगे लेकिन ये ऐसा नवरात्री है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है। साल में 4 नवरात्री पड़ते हैं जिसमें से तीन गुप्त नवरात्री कहलाते हैं बाकी दो चैत्र और शारदीय नवरात्री को धूमधाम से मनाया जाता है। 10 जुलाई से शुरु हो रहे हैं दुर्गा मां के गुप्त नवरात्री और ऐसे में आपको अपनी पूजा पर खासतौर पर ध्यान देना होगा।

10 जुलाई से शुरु हो रहे हैं दुर्गा मां के गुप्त नवरात्री

साल में पड़ने वाली 4 नवरात्री में 2 प्रकट होती हैं और 2 गुप्त नवरात्री होती है। इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्री 3 जुलाई से शुरु होकर 10 जुलाई तक रहेगी। हिंदू धर्म में दूर्गा पूजा का विशेष महत्व माना जाता है और इसलिए ही नवरात्री का पर्व विशेषरूप से मनाया जाता है। इन दिनों भक्त व्रत रखकर मां की उपासना करके उन्हें मनाते हैं और हिंदू कैलेंडर के मुताबिक साल के चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीनों में चार नवरात्री का मौका भक्तों को मिलता है। इन दिनों देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और नवरात्री के पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा करते हैं।

इन 10 महाविद्या काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला है और ऐसी मान्यता है कि इन सभी महाविद्याओं की साझना करके मस्सत प्रकार के सांसारिक सुख, ऐश्वर्य, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। मगर पूजा की विधि पूरे नियम के साथ ही करना चाहिए।

नवरात्री का ऐसे करें पूजन

– गुप्त नवरात्री में भी प्रकट नवरात्री की तरह कलश की स्थापना की जाती है लेकिन ऐसा सिर्फ विशेष साधना के लिए ही किया जाता है। सामान्य साधक के लिए ऐसा करना जरूरी नहीं होता है।
– जिन साधकों ने कलश की स्थापना की है उन्हें सुबह-शाम देवी का मंत्र जाप, चालिसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए। इसके साथ ही माता की आरती और दोनों ही समय भोग लगाना चाहिए। भोग के लिए लौंग और बताशे का उपयोग कर सकते हैं।


– देवी मं की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए और ऐसे में लाल फूल जरूर अर्पित करें और इन नौ दिनों में अपना खान-पान सात्विक रखें।

देवी दुर्गा के सामान्य मंत्र ऊं दुं दुर्गायै नम: मंत्र की नौ माला का प्रतिदिन जाप करें। वैसे पूजन करने का सही मुहूर्त कुछ इस तरह है-
प्रात:काल- 5 बजकर 10 मिनट से 9 बजे तक

सायंकाल- 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजे तक

रात्रिकाल- 8 बजकर 30 मिनट से 11 बजे तक

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