अध्यात्म

4 जुलाई से शुरू होगी रथयात्रा भाई-बहन संग मौसी के घर जाएंगे भगवान जगन्नाथ

हर साल धूमधाम से भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली जाती है और इस रथ यात्रा का हिस्सा बनने के लिए लाखों लोग उड़ीसा राज्य आते हैं। इस रथ यात्रा के दौरान उड़ीसा के पुरी शहर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है और लोग उत्साह के साथ इस यात्रा को निकलाते हैं।

कब निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा

हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली जाती है। भगवान जगन्नाथ जी का भव्य मंदिर पुरी शहर में है और इस मंदिर से ही ये रथ यात्रा निकलती है। इस रथ यात्रा के दौरान तीन रथ निकाले जाते हैं। जिनमें से पहले रथ में भगवान जगन्नाथ विराजमान होते हैं, दूसरे रथ में उनके बड़े भाई बलभद्र और तीसरे रथ में उनकी बहन सुभद्रा जी को विराजमान किया जाता है। इस वर्ष ये रथ यात्रा 4 जुलाई से शुरू होने वाली है और पुरी शहर में इस रथ यात्रा को लेकर खासे इंतजाम किए गए हैं।

जाते हैं अपने मौसी के घर

पुरी से शुरू होने वाली ये रथ यात्रा जनकपुर के गुंढ़ीचा मंदिर तक जाती है, जो कि भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है। इस जगह पर पहुंचने के बाद विधि विधान के साथ भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी की मूर्तियों को रथ से उतारा जाता है और गुंडीचा मंदिर में रखा जाता है। गुंडीचा मंदिर में इनकी मूर्तियों को रखने के बाद इस मंदिर में लोग आते हैं और भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करते हैं। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी सात दिनों तक आराम करते हैं और आठवें दिन इनको फिर से रथ पर विराजमान किया जाता है और रथ को खींचते हुए पुरी शहर वापस ले जाया जाता है। रथ को वापस पुरी ले जाने वाली यात्रों को बहुड़ा यात्रा  के नाम से जाना जाता है।

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा काफी भव्य होती है और इनकी इस रथ यात्रा से कई तरह की रोचक बातें भी जुड़ी हुई हैं, जो कि इस प्रकार हैं –

– भगवान जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को जिस रथ के जरिए गुंढ़ीचा मंदिर ले जाया जाता है उस रथ को बनाने में किसी भी तरह की धातु का प्रयोग नहीं कियी जाता है और इस रथ को पूरी तरह से लकड़ियों से बनाया जाता है। इस रथ को बनाने के लिए जिन लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है वो लकड़िया एकदम शुद्ध और पवित्र  होती हैं।

– इस रथ को बनाने की शुरूआत अक्षय तृतीया से प्रारंभ होता है। इस रथ में सोलह पहियों लगाए जाते हैं और इस रथ को भक्तों द्वारा खींचा जाता है।

– रथों को फूलों से सजा जाता है और इन रथों को अच्छे से साफ करने के बाद ही इनमें भगवान जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी की मूर्ति को रखा जाता है।

– भगवान जगन्नाथ के रथ को बनाने में दो रंगों का प्रयोग किया जाता है और ये रंग लाल और पीला हैं। भगवान जगन्नाथ जी के रथ में हनुमान जी और नृसिंह जी की प्रतीम भी जरूर रखी जाती है।

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