टूटी पटरी की और तेजी से बढ़ रही थी ट्रेन, गरीब बाप-बेटी बीच में खड़े हो गए, फिर हुआ कुछ ऐसा कि..
अक्सर देखा जाता हैं कि जिन लोगो के घर पैसा कम होता हैं उनका दिल बहुत बड़ा होता हैं. कई बार ये लोग कुछ ऐसा काम कर जाते हैं जिसे करने का साहस अमीर लोगो के पास भी नहीं होता हैं. ऐसा ही एक मामला त्रिपुरा के धनचारा गाँव में देखने को मिला हैं. यहां एक गरीब बाप बेटी की जोड़ी ने अपनी जान पर खेल हजारों लोगो की जान बचाई हैं. इनसे मिलिए, ये हैं स्वपन और उनकी 9 साल की बेटी सोमती.
स्वपन और सोमती की वजह से एक बहुत बड़ा रेल हादसा होने से टल गया और सैकड़ों लोगो की जान भी बच गई. ये कहानी बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते में पढ़ने वाले त्रिपुरा के धनचारा से शुरू होती हैं. यहां स्वपन अपनी 7 सदस्यों वाले परिवार के साथ बहुत गरीबी वाली हालत में रहते हैं.
स्वपन के घर में आए दिन खाना बनाने के लिए कुछ नहीं रहता हैं. ऐसे में एक दिन अपने परिवार को भूखा देखने की बजाए उसने कुछ अलग करने का सोचा. वो अपनी बेटी सोमती को घर के पास में बने जंगल में फल ढूँढने ले गया. जंगल में फल खोजने के साथ वो पेड़ से बांस भी काटने लगा ताकि इसे बेच कुछ पैसे कमा सके.
इसी दौरान उसने देखा कि एक दिन पहले हुई भारी बारिश से एक एरिया में काफी नुकसान हुआ हैं. इस वजह से रेल का एक ट्रैक भी क्षतिग्रस्त हुआ हैं. ऐसे में यदि ट्रेन यहां से गुजरती हैं तो वो क्रेश होकर नीचे पानी में गिर सकती हैं. इससे हजारों जाने जाएगी. ऐसे में स्वपन वहीं ट्रैक पर बैठ ट्रेन आने का इन्तजार करने लगा ताकि इस हादसे को टाला जा सके.
चुकी इस एरिया में सिर्फ एक ही ट्रेन चलती हैं इसलिए स्वपन को उसके इन्तजार में घंटों वहीं बेठना पड़ा. जरा सोचिये इस समय का उपयोग वो बांस काट और उसे बेच परिवार का पेट भरने में कर सकता था लेकिन उसके लिए अन्य लोगो की जान बचाना प्राथमिकता था. कुछ घंटो के इन्तजार के बद स्वपन ने ट्रेन के आने की आवाज़ सुनी.
तेजी से आ रही इस ट्रेन को रोकने के लिए स्वपन ट्रैक के बीच में खड़ा हो गया और अपनी शर्ट को दो हिस्सों में फाड़ झंडे की तरह इस्तेमाल करने लगा. उधर रेल में बैठे इंजिनियर और ड्राईवर को लगा कि ये कोई पागल आदमी हैं जो शायद रेल रुकवाकर इसमें चढ़ना चाहता हैं. इसलिए वे हॉर्न बजाने लगे और ट्रेन उसी तीज स्पीड से आगे बढ़ने लगी.
जब स्वपन को पता चला कि ट्रेन ऐसे नहीं रुकेगी तो उसने अपने सामने 9 साल की बेटी सोमती को भी खड़ा कर दिया. तेज रफ़्तार ट्रेन के आगे खड़ा होने में सोमती डरने लगी लेकिन उसके पिता ने साहस से काम लेने और लोगो की जान बचाने की बात कही.
आखिर ट्रेन क्षतिग्रस्त पटरी के कुछ मीटर पहले रुकना गई. जब ट्रेन के ड्राईवर सोनू कुमार मंडल को पूरा मामला पता चला तो वो इतना ज्यादा इम्प्रेस हुआ कि उसने बाप बेटी के साथ एक तस्वीर ले ली. बाद में उसने इस कहानी को फेसबुक पर भी शेयर किया. जल्द ही ये बहादुर बाप बेटी की जोड़ी फेमस हो गई.
इसके बाद त्रिपुरा के हेल्थ, साइंस और टेक मिनिस्टर सुदीप रॉय बर्मन ने धन्यवाद् कहने अपने घर खाने पर बुलाया. इसके साथ ही स्वपन को रेलबोर्ड में नौकरी दी गई और एक रेलवे स्टेशन का नाम भी उनके ऊपर रखा गया. स्वपन पढ़े लिखे नहीं हैं इसलिए उनके लिए शिक्षा लेने की क्लास का भी बंदोबस्त किया गया. इसके अतिरिक्त ट्रेन में सवार 2 हजार यात्रियों की जान बचने के लिए कई लोगो ने उन्हें पैसो के चेक भेजना शुरू कर दिए जिसकी राशि 3 लाख के ऊपर हो गई.