जानें हिंदू धर्म में क्या है एकादशी व्रत का महत्व, हर एकादशी अपने में हैं खास और महत्वपूर्ण
हिंदू धर्म में छोटे-बड़े ना जाने कितने ही तीज-त्यौहार होते हैं। साल में 365 दिनों में हर दिन किसी ना किसी रूप में किसी देवता को समर्पित होता है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए जातक हर दिन कोई ना कोई व्रत रखता है। हर भगवान का एक दिन होता है, जिस दिन उनका व्रत और उनकी उपासना करके भक्त उनको प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। बता दें कि एकादशी भी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख उपवास है। यह उपवास भगवान श्रीहरी को समर्पित होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान हरि की उपासना और व्रत करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। एकादशी के दिन किया जाने वाला यह उपवास व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार की सफलता दिलाता है।
तो आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि इस साल किस महीने की किस तारीख को एकादशी पड़ रही है। बता दें कि त्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या 24 से बढ़कर 26 हो जाती है। बता दें कि प्रत्येक एकादशी का एक खास महत्व होता है। तो चलिए आपको बताते हैं इन एकादशियों की तारीख और इनके महत्व के बारे में।
जानें कब-कब पड़ेगी एकादशी
जून
13 जून — निर्जला एकादशी
29 जून — योगिनी एकादशी
जुलाई
12 जुलाई — देवशयनी एकादशी
28 जुलाई — कामदा एकादशी
अगस्त
11 अगस्त — पवित्रा एकादशी
26 अगस्त — अजा एकादशी
सितंबर
09 सितंबर — पद्मा एकादशी
25 सितंबर — इंदिरा एकादशी
अक्टूबर
09 अक्टूबर — पापकुशा एकादशी
24 अक्टूबर — रमा एकादशी
नवंबर
08 नवंबर — देवप्रबोधिनी एकादशी
22 नवंबर — उत्पत्ति एकादशी
दिसंबर
08 दिसंबर — मोक्षदा एकादशी
22 दिसंबर — सफला एकादशी
एकादशियों के अलग-अलग महत्व
निर्जला एकादशी
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है। जैसा कि इसके नाम से ही पता लग रहा है कि इस व्रत मे पानी का पीना वर्जित है इसिलिये इस निर्जला एकादशी कहते है। ऐसी मान्यता है कि यदि आप ज्येष्ठ की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत रखते हैं तो इसका फल आपको पूरे साल एकादशियों में व्रत रखने वाली एकादशियों के बराबर ही प्राप्त होता है।
योगिनी एकादशी
आषाढ़ मास की कृष्ण एकादशी को “योगनी” अथवा “शयनी” एकादशी कहते है। भगवान कृष्ण ने कहा है कि- हे राजन! यह योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। इस एकादशी का व्रत रखने से जीवन के समस्त पाप तो दूर होते ही है साथ ही व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति भी होती है।
देवशयनी एकादशी
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस एकादशी वाले दिन से भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है। इस एकादशी में व्रत करने से जातक सभी पापों से मुक्त हो जाता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कामदा एकादशी
चैत्र शुक्ल पक्ष में ‘कामदा’ नाम की एकादशी होती है। इस एकादशी को लेकर एक विशेष मान्यता है। ऐसा कहा गया है कि जो भी व्यक्ति इस एकादशी में व्रत रखता है और उपासना करता है उसके ऊपर से ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश होता है। साथ ही इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
पवित्रा एकादशी
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पवित्रा एकादशी नाम दिया गया है। बता दें कि इस एकादशी के विषय में मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति श्रृद्धा और नियम पूर्वक इस एकादशी में व्रत रखता है उसके पूर्व जन्म के पाप कट जाते हैं और संतान एवं धन-संपदा का सुख प्राप्त होता है।
अजा एकादशी
भाद्रपद कृष्ण एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। बता दें कि ऐसी मान्यता है कि जो मनुष्य यत्न के साथ और विधिपूर्वक इस एकादशी को व्रत करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पापों का नाश होती है और उसको स्वर्गलोक की प्राप्ति होती हैं। वहीं इस एकादशी की कथा के श्रवणमात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
पद्मा एकादशी
भाद्रपद शुक्ल में पड़ने वाली एकादशी को पद्मा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी में यज्ञ करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
इंदिरा एकादशी
इंदिरा एकादशी को श्राद्ध पक्ष एकादशी के तौर पर भी जाना जाता है। इस एकादशी को लेकर कहा गया है कि इस दिन व्रत और उपासना करने से मनुष्य जाति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पापंकुशा एकादशी
आश्विन शुक्ल एकादशी को पापंकुशा एकादशी कहते हैं। भगवान कृष्ण ने बताया है कि ये एकादशी पापों का नाश करने वाली है। इस दिन मनुष्य को विधिपूर्वक भगवान पद्मनाभ की पूजा करनी चाहिए। यह एकादशी मनुष्य को मनवांछित फल देकर स्वर्ग को प्राप्त कराने वाली है।
रमा एकादशी
कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि यह एकादशी बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है।
देवप्रबोधिनी एकादशी
कार्तिक शुक्ल एकादषी को देवोत्थानी एकादशी और देवप्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। बता दें कि इस दिन भगवान हरि चार माह की निद्रा से जागते हैं। इस दिन घर की महिलाएं मां तुलसी का विवाह शालिग्राम से करवाती हैं।
उत्पत्ति एकादशी
मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को उत्पत्ति एकादशी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से दिव्य फल की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन उपवास रखकर श्रीहरिके नाम का संकीर्तन, भक्तिगीत, नृत्य करते हुए रात्रि में जागरण करने से दिव्य फल की प्राप्ति होती है।
सफला एकादशी
पौषमास के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान नारायण की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। यह एकादशी कल्याण करने वाली है। एकादशी समस्त व्रतों में श्रेष्ठ है।