अध्यात्म

भगवान शिव और गणेश जी पर भूलकर भी ना चढ़ाए ये फूल, अन्यथा झेलनी होगी परेशानियां

हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ या शुभ कार्य में फूलों का अत्यधिक महत्व होता है। बता दें कि देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए फूल एक विशेष महत्ता रखते हैं। बता दें कि प्रत्येक भगवान को अलग-अलग फूल पसंद होते हैं ठीक उसी प्रकार से हर भगवान की आराधना के लिए भी अलग-अलग तरह के मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि आप भगवान को कुछ विशेष रंग के फूल चढाएंगे तो वो जल्दी प्रसन्न होते हैं और जल्द ही आपको हर मनोकामना को पूरा कर देते हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि किस भगवान को आपको किस रंगों के फूलो को अर्पण करना चाहिए साथ ही किस तरह के मंत्रों का जप करना चाहिए, ताकि वो जल्दी प्रसन्न हो जाएं….

सनातन धर्म में फूलों का महत्व

दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा। 

इस मंत्र का अर्थ है कि  देवता का मस्तक या सिर हमेशा फूलों से सुशोभित रहना चाहिए।

पुष्पैर्देवां प्रसीदन्ति पुष्पै देवाश्च संस्थिता
न रत्नैर्न सुवर्णेन न वित्तेन च भूरिणा
तथा प्रसादमायाति यथा पुष्पैर्जनार्दन।

अर्थ- संस्कृत में लिखी इन पंक्तियों का अर्थ है कि भगवान के चरणों में चाहे जितना भी रत्न, स्वर्ण, द्वव्य अर्पण करो या फिर व्रत और तपस्या करों लेकिन ईश्वर पुष्प अर्पण से जितना प्रसन्न होते हैं उतना किसी और चीज से नहीं।

भगवान शिव का प्रिय फूल और मंत्र

भोले बाबा को धतूरे के फूल बहुत प्रिय होते हैं। इसके अलावा आप शिव भगवान पर हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, कनेर, आक, कुश आदि के फूल भी अर्पण कर सकते हैं। लेकिन याद रखें कि भगवान शिन पर कभी भी केवड़े का फूल और तुलसी दल भूलकर भी ना चढ़ाएं।

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शिव मूल मंत्र-ॐ नमः शिवाय॥
महामृत्युंजय मंत्र-ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

भगवान विष्णु का प्रिय फूल और मंत्र

बता दें कि भगवान विष्णु को कमल, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय होते हैं। वहीं जहां भगवान शिव पर तुलसी दल चढ़ाने की मनाही हैं, वहीं भगवान विष्णु पर तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं। बता दें कि कार्तिक मास में भगवान नारायण की यदि केतकी के फूलों से पूजा करी जाए तो ऐसा माना जाता है कि वो जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।

मंत्र- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’

भगवान गणेश का प्रिय फूल और मंत्र

बता दें कि भगवान गणेश बहुत ही जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। गणेशजी को दूर्वा जिसे घास भी कहते हैं अत्यंत प्रिय होती है। इसके अलावा भगवान गणेश पर आप कोई भी लाल रंग का फूल चढ़ा सकते हैं। लेकिन याद रखें की भगवान शिव की ही तरह गणेश जी पर भी भूलकर तुलसीदल ना चढाएं।

मंत्र-वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

भगवान सूर्य भगवान का प्रिय फूल और मंत्र

भगवान सूर्य को सभी ग्रहों के राजा कहा जाता है। बता दें कि भगवान सूर्य को आक का फूल और जल सबसे ज्यादा प्रिय है। वहीं कभी भी भूलकर सूर्य भगवान पर धतूरा और अपराजिता के फूल ना चढ़ाएं।

मंत्र- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः

भगवान हनुमान का प्रिय फूल और मंत्र

बता दें कि भगवान हनुमानजी को लाल रंग अत्यंत प्रिय है। ऐसे में उनको सदैव लाल फूल, लाल गुलाब, लाल गेंदा और तुलसीदल ही अर्पण करें। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी पर लाल पुष्प चढ़ाने से  वो हर मनोकामना जल्दी से जल्दी पूरी कर देते हैं।

मंत्र- श्री हनुमंते नम:

भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय फूल और मंत्र

भगवान श्रीकृष्ण को फूलों से कितना प्यार है ये बात तो सब जानते ही हैं। बता दें कि कृष्ण भगवान को वैजंतीमाला और तुलसीदल बहुत ही प्रिय होता है। इसके अलावा उन्हें कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के फूल भी अर्पण कर सकते हैं।

मंत्र- कृं कृष्णाय नमः

माता लक्ष्मी का प्रिय फूल और मंत्र

धन की देवी मां लक्ष्मी को सबसे अधिक कमल का फूल पसंद है। इसके अलावा आप मां लक्ष्मी के चरणों में पीला फूल और लाल गुलाब चढ़ाकर भी प्रसन्न कर सकते हैं।

मंत्र- ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै श्रीं श्रीं ॐ नम:

महालक्ष्मी मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

भगवान शनिदेव का प्रिय फूल और मंत्र

बता दें कि भगवान शिव ने शनिदेव को न्यायाधीश का दर्जा दिया है। वहीं शनिदेव की नीला फूल बहुत ही प्रिय होता है।

मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

– ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

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