पढ़िए श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा और कैसे की जाती है इसके व्रत की पूजा
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और ये पर्व हर साल आता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के दौरान देश भर के मंदिरों में खासी रौनक देखने को मिलती है और मंदिरों में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व अगस्त महीने की 24 तारीख को आ रही है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है, श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा और इस दिन क्या किया जाता है, इसकी जानकारी इस प्रकार है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था और इस दिन को ही हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा के अनुसार मथुरा में एक कंस नामक राजा हुआ करता था। जिसकी देवकी नामक एक बहन हुआ करती थी और कंस अपनी बहन से बेहद ही प्यार किया करता था। कंस ने काफी धूमधाम से अपनी बहन देवकी का विवाह वसुदेव के साथ करवाया था। वहीं देवकी-वसुदेव के विवाह वाले दिन ही एक आकाशवाणी हुई और इस आकाशवाणी के जरिए कंस को पता चला कि उसकी मृत्यु उसकी बहन देवकी और वसुदेव के पुत्र के हाथों होने वाली है। ये आकाशवाणी सुनते ही कंस काफी डर गया और उसने अपनी बहन देवकी और वसुदेव को अपना कैदी बना लिया। देवकी और वसुदेव की जो भी संतान हुआ करती थी कंस उसे मार देता था। इस तरह से कंस ने देवकी और वसुदेव की कुल 7 संतानों को मार दिया था।
कृष्ण जन्माष्टमी कथा के मुताबिक भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में वृष लग्न के दौरान देवकी ने अपने आठवें बच्चे को जन्म दिया था, जो कि कृष्ण जी थे। कृष्ण जी का जन्म होते ही कंस के सारे सिपाही बेहोश हो गए थे और वसुदेव अपने पुत्र को यमुना नदी पार करते हुए गोकुल ले गए थे। गोकुल पहुंचकर वसुदेव ने अपने पुत्र को यशोदा की बेटी से बदल दिया था और वापस से जेल में लौट आए थे। जेल में आने के बाद वसुदेव ने देवकी के पास नंद और यशोदा की बेटी को रख दिया था।
अगले दिन कंस ने जेल में जाकर उस बच्ची को उठाकर पत्थर पर फेंक दिया और उस बच्ची की मौत हो गई। कंस को लगा की उसने वसुदेव और देवकी की संतान को मार दिया है। लेकिन वास्तव में वो बच्ची इनकी नहीं थी।
वहीं कुछ समय बाद कंस को ये बात पता चल गई कि वसुदेव और देवकी की संतान जीवित है और वो गोकुल में है। जिसके बाद कंस ने कृष्ण को मारने के लिए कई सारे राक्षसों को गोकुल में भेजा। लेकिन एक भी राक्षस कृष्ण जी को मार ना सका। वहीं जब कृष्ण जी बड़े हुए तो उन्होंने अपने मामा कंस को मार दिया और इस तरह से कंस के मौत से जुड़ी आकाशवाणी सत्य साबित हुई। इसके बाद से हर वर्ष भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस को ही श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा ।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन क्या किया जाता है?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोगों द्वारा व्रत रखा जाता है और मंदिर में जाकर भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। वहीं रात को 12 बजे भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप के जन्म उत्सव को मनाया जाता है और उनके बाल रूप को पंच अमृत से स्नान करवाया जाता है। इसके बाद श्री कृष्ण से जुड़े भजनों और गीतों को गाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर राज्य में मनाया जाता है लेकिन इस दिन मथुरा, गोकुल और द्वारका में खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और दूर-दूर से लोग इन जगहों पर बने भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में आकर उनके दर्शन किया करते हैं। भगवान श्री कृष्ण के जन्म स्थान यानी मथुरा को इस दिन खूब अच्छे से सजाया जाता है और मथुरा में बनें भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इस दिन जरूर रखा जाता है व्रत
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोगों द्वारा व्रत रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगावन श्री कृष्ण की कृपा आप पर बन जाती है और वो आपकी हर परेशानी को दूर कर देते हैं। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि जिन दंपत्ति को कोई संतान नहीं है अगर वो इस दिन व्रत रखते हैं और रात के 12 बजे श्री कृष्ण के बाल रूप को स्नान करवाते हैं और उनको झुला झुलातें हैं। तो उन्हें संतान सुख प्राप्त हो जाता है और वो माता पिता बन जाते हैं। इस साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त के दिन आ रही है और आप इस दिन व्रत जरूर रखें और श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा जरूर करें।