अध्यात्म

शनि प्रदोष व्रत रखने से हर दुख हो जाते हैं दूर, जानें शनि प्रदोष का महत्व

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर महीने दो प्रदोष व्रत आते हैं। जिनमें से एक प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष में आता है और दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष में आता है। शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में शनि प्रदोष का महत्व काफी अधिक माना गया है और ऐसा कहा जाता है कि जो लोग यह व्रत रखते हैं, भगवान शिव उनकी रक्षा शनि देव से करते हैं और उनपर कभी भी शनि देव की वक्र दृष्टि भी नहीं पड़ती हैं।

शनि प्रदोष व्रत 2020 – Shani Pradosh Vrat

यह व्रत हर साल आता है और इस व्रत को कई लोगों द्वारा रखा जाता है। इसलिए आप भी शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए और भगवान शंकर का आशीर्वाद पाने के लिए यह व्रत जरूर रखें।

शनि प्रदोष का महत्व

साल 2020 में पांच शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) आ रहे हैं। जिनमें से पहला शनि प्रदोष व्रत 2020 के मार्च महीने की 7 तारीख को है। जिसके बाद दूसरा शनि प्रदोष व्रत 2020 के मार्च महीने की 21 तारीख को आएगा और तीसरा प्रदोष व्रत 2020 के जुलाई महीने की 18 तारीख को आने वाला है। अगला व्रत 1 अगस्त को हैं। और पांचवा व्रत 12 दिसंबर को आ रहा है। आप इन तारीखों को यह व्रत जरूर रखें।

शनि प्रदोष का महत्व

शनि प्रदोष का महत्व

हमारे शास्त्रों में शनि प्रदोष का महत्व बताते हुए कहा गया है कि इस व्रत को करने से भगवान शंकर हमारी रक्षा शनि देव के करते हैं। जो लोग इस व्रत को रखते हैं उन लोगों पर भगवान शिव की कृपा बन जाती है। शनि प्रदोष के महत्व का वर्णन करते हुए शास्त्रों में लिखा गया है कि इस दिन शंकर भगवान के साथ पीपल के पेड़ की पूजा करने से अधिक लाभ मिलता है। वहीं यह व्रत रखने से और क्या-क्या लाभ मिलते हैं और शनि प्रदोष का महत्व इस प्रकार हैं-

पुत्र प्राप्ति होती है

जिन लोगों के जीवन में संतान सुख नहीं है वो लोग अगर शनि प्रदोष का व्रत रखें तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाती है। शनि प्रदोष के महत्व से एक कथा भी जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार, एक सेठ हुआ करता था और इस सेठ के पास खूब सारा धन था। लेकिन इस सेठ की कोई भी संतान नहीं थी। जिसकी वजह से ये सेठ और इस सेठ की पत्नी काफी दुखी रहा करते थे। एक दिन सेठ और सेठ की पत्नी ने सोचा की क्यों ना हम लोग तीर्थ यात्रा पर चले जाएं। क्या पता तीर्थ यात्रा करने से हमें संतान सुख प्राप्त हो जाए।

शनि प्रदोष का महत्व

कुछ दिनों बाद ये सेठ अपनी पत्नी के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल जाता है। इस यात्रा के दौरान इस सेठ को एक साधु मिलता है। ये साधु सेठ से उसकी परेशानी के बारे में पता करता है। तब ये सेठ साधु को बताता है कि उसकी कोई भी संतान नहीं है। जिसकी वजह से वो काफी दुखी है। ये साधु सेठ और उसकी पत्नी की परेशानी को देखकर उन्हें कहता है, तुम दोनों शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) रखा करो। इस व्रत को करने से तुम्हें संतान की प्राप्ति हो जाएगी। साधु की बात को मानते हुए सेठ और उसकी पत्नी ने इस व्रत को रखना शुरू कर दिया और कुछ सालों बाद उन्हें इस व्रत का फल मिला और उनके घर में एक पुत्र ने जन्म लिया।

शनि के अशुभ प्रभाव से बचते हैं

शनि प्रदोष का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि प्रदोष का व्रत रखने से शनि देव के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि प्रदोष का महत्व बताते हुए कहा गया है कि इस व्रत को रखने से भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों पर शनि के अशुभ प्रभावों को नहीं पड़ने देते हैं। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में शनि देव का बुरा प्रभाव है उन लोगों को शनि प्रदोष व्रत जरूर रखना चाहिए।

सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है

शनि प्रदोष व्रत

शिव जी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है और इस व्रत को रखने से भगवान शिव जीवन के सभी कष्टों को खत्म कर देते हैं। शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) रखने से जीवन में हर सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है और सदा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।

शनि प्रदोष का महत्व जानने के बाद आप इस व्रत को जरूर रखें। इस व्रत को रखते ही आपके जीवन के दुख धीरे- धीरे समाप्त होने लग जाएंगे।

किस तरह से रखा जाता है शनि प्रदोष व्रत

शनि प्रदोष व्रत

–  शनि प्रदोष के दिन प्रात:काल उठकर घर की साफ-सफाई की जाती है और फिर स्नान करने के बाद भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है। शिव जी की पूजा करने के बाद शनि देव को तेल अर्पित किया जाता है।

–  शनि प्रदोष के दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करना उत्तम माना गया है और इस पाठ को करने से जीवन की हर परेशानियां दूर हो जाती है।

– शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) करने वाले जातक को दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ इस दिन में 11 बार करना चाहिए। इस पाठ के अलावा शनि चालीसा और शिव चालीसा का पाठ करने से भी लाभ मिलता है।

– इस दिन पीपल के वृक्ष की जड़ पर गाय का दूध अर्पित करना चाहिए और इस पेड़ के सामने तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि पीपल वृक्ष के पास तेल का दीपक जलाने से जीवन के सारे कष्ट अपने आप खत्म होने लग जाते हैं।

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