आज के महंगाई के जमाने में लोग अपना और अपने परिवार का पेट ठीक से पाल ले यही बड़ी बात होती हैं. ऐसे में दूसरों की भूख के बारे में लोग कम ही सोचते हैं. चलो गरीब भूखे भिखारियों को भी लोग दान धर्म के मामले में कभी कबार खिला पिला देते हैं. लेकिन जब बात बेजुबान जानवरों की आती हैं तो उन्हें अपनी भूख मिटने के लिए खुद पर ही निर्भर रहना पड़ता हैं. रोज रोज जानवरों का पेट भरने का जिम्मा शायद ही कोई लेता हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐशे शख्स से मिलाने जा रहे हैं जो ना सिर्फ इन जानवरों से प्यार करता हैं बल्कि नियम के साथ उन्हें भरपेट भोजन भी कराता हैं.
इनसे मिलिए. ये हैं गुजरात के अहमदाबाद के मंकीमैन. अब आप सोच रहे होंगे कि भला ये कैसा नाम हुआ. दरअसल इन जनाब का असली नाम तो स्वप्निल सोनी हैं. लेकिन इनके बंदरों के प्रति लगाव और काम के चलते ये अपने एरिया में इसी (मंकीमैन) नाम से फेमस हो गए हैं. स्वप्निल का बंदरों और लंगूरों के साथ एक बड़ा ही अनोखा और प्यारा रिश्ता हैं. स्वप्निल हर सोमवार बंदरों को रोटियां खिलाने का काम करते हैं. यह काम बिना किसी निजी स्वार्थ और मदद के होता हैं. वे अपने ही हाथ से घर पर रोटियां बनाते हैं और फिर करीब 500 बंदरों को खिलाते हैं.
आपको जान हैरानी होगी कि स्वप्निल प्रत्येक सोमवार 1700 रोटियां बंदरों को खिला उनका पेट भरते हैं. इतना ही नहीं वे ये काम पिछले दस सालों से करते आ रहे हैं. इस वजह से स्वप्निल और बंदरों के बीच का रिश्ता कुछ ऐसा बन गया हैं मानो दोनों एक ही परिवार के सदस्य हो. स्वप्निल आराम से बंदरों के बीच बैठ जाते हैं और फिर प्यार से उन्हें रोटियां खिलाते हैं. उधर बंदर भी अब स्वप्निल के आने का इंतज़ार करने लगे हैं. इंसान और जानवर के बीच का ये नज़ारा देखते ही बनता हैं.
स्वप्निल बताते हैं कि वे हर हाल में सोमवार के दिन ये काम जरूर करते हैं. एक बार बीच में उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर पड़ गई थी. आलम ये था कि उन्हें अपनी बेटी के नाम की एक पॉलिसी तक तोड़नी पड़ गई थी. लेकिन इन मुश्किल हालातों में भी स्वप्निल ने बंदरों को रूतियाँ देना बंद नै किया था. स्वप्निल का कहना हैं कि उनसे जब तक हो सकेगा वो ये काम करते रहेंगे. फिर जब वे नहीं रहेंगे तो यही काम उनका बेटा करेगा. बता दे कि स्वप्निल बजरंगबली के बहुत बड़े भक्त हैं, जिसके चलते उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी.
जब से स्वप्निल का ये नेक काम सोशल मीडिया पर वायरल हुआ हैं वे और भी ज्यादा फेमस बन गए हैं. लोगो को जब इस बारे में पता चला तो वे स्वप्निल की तारीफों के पूल बाँधने लग गए. किसी ने कहा कि आज के स्वार्थी समाज में भला कौन जानवरों के बारे में इतना सोचता हैं. वहीं एक का कहना हैं कि स्वप्निल जी का ये नेक काम हम सभी लोगो के लिए प्रेरणा हैं. हमें भी अपनी निजी जिन्दगी से थोड़ा समय निकाल बेजुबान जानवरों के लिए कुछ करना चाहिए.