बेईमान दुकानदार की कहानी: हम जैसा करते हैं, हमें फल भी वैसा ही मिलता है
एक किसान के पास खूब सारी गाय हुआ करती थी और इन गायों के दूध से ये किसान मक्खन निकालकर गांव के लोगों को बेचा करता था। एक दिन ये किसान अपने मक्खन को बचने के लिए बाजार जाता है और बाजार में एक दुकानदार को किसान का मक्खन काफी पसंद आता है। ये दुकानदार किसान को रोज उसे एक किलो मक्खन देने की बात कहता है। किसान दुकानदार को मक्खन बेचने के लिए राजी हो जाता है। वहीं इस दुकान से किसान एक किलो गुड़ खरीद लेते हैं और वापस से अपने घर चला जाता है।
घर जाने के बाद किसान अपनी पत्नी को बताता है कि वो कल से एक दुकानदार को रोज एक किलो मक्खन बेचने के लिए जाएगा। किसान की पत्नी ये बात सुनकर काफी खुश हो जाती है। किसान अपनी पत्नी को एक किलो गुड़ पकड़ा देता है और कहता है इस गुड़ से तोलकर तुम रोज एक किलो मक्खन एक डब्बे में डाल दिया करो। मैं रोज सुबह जाकर मक्खन का डब्बा दुकानदार को दे आऊंगा। किसान की पत्नी रोज सुबह उठकर ताजा मक्खन निकलती थी और इस मक्खन को गुड़ से तोल कर डब्बे में डाल देती थी। जिसके बाद किसान दुकानदार को जाकर ये मक्खन का डब्बा दे देता था।
कुछ हफ्तों तक ऐसा ही चलता रहा। वहीं एक दिन दुकानदार ने सोच की क्यों ना मक्खन को तोल कर देखा जाए कि वो एक किलो है कि नहीं। दुकानदार ने जैसे ही मक्खन को बाटे पर रखा तो पाया की मक्खन का वजन एक किलो से कम है और मक्खन 900 ग्राम है। मक्खन का कम वजन देखकर दुकानदार को गुस्सा आ गया। दुकानदार ने सोचा की कल जब किसान उसको मक्खन देने आएगा तो वो उसके सामने ही मक्खन को तोलेगा। अगले दिन जब किसान मक्खन को लेकर आता है तो दुकानदार उसके सामने मक्खन को तोलता है और मक्खन फिर से 900 ग्राम ही होता है। दुकानदार गुस्से में किसान को कहता है, तु मेरे साथ रोज बेईमानी करता था और मुझे एक किलो की जगह 900 ग्राम मक्खन ही दिया करता था। आज मैंने तेरी चोरी पकड़ ली है और अब मैं तेरे को इसकी सजा दिलवाकर रहुंगा।
तब किसान दुकानदार से कहता है, आप ये क्या बोल रहे हैं, मैेंने आपके साथ किसी भी तरह की बेईमानी नहीं की है। मेरे पास तो मक्खन तोलने के लिए कोई बाटा नहीं है। इसलिए मैं आप से एक किलो गुड़ खरीदकर ले गया था और मेरी पत्नी रोज आपके दिए हुए गुड़ को बाटा बनाकर मक्खन को तोला करती है । इसलिए बेईमान मैं नहीं आप हैं, क्योंकि आपने मुझे एक किलो की जगह 900 ग्राम गुड़ दिया था। किसान की ये बात सुनकर दुकानदार काफी शर्मिंदा हुआ और उसे समझ आ गया कि हम जैसा करते हैं, हमें फल भी वैसा ही मिला करता है।
कहानी से मिली सीख
किसान और बेईमान दुकानदार की इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि अगर हम किसी के साथ बुरा करते हैं, तो हमारे साथ भी बुरा ही होता है। इसीलिए कहा जाता है कि जैसी करनी, वैसी भरनी।