दाऊद इब्राहिम से मिले ऋषि कपूर, 30 हजार में खरीदा था बेस्ट ऐक्टर का अवार्ड!
ऋषि कपूर अपने पुर खुलूस अंदाज़ और बेबाकी के लिए हमेशा खासे मशहूर रहे हैं. अब उनकी जीवनी ‘खुल्लमखुल्ला’ में हुए खुलासों ने बॉलीवुड में बैचेनी पैदा कर दी है. ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा में दाऊद से हुई मुलाकात के बारे में भी खुल कर बात की है.
कपूर ने बताया है कि साल 1988 में वह अपने करीबी दोस्त बिट्टू आनंद के साथ आशा भोंसले और आरडी बर्मन के प्रोग्राम में शामिल होने दुबई गए थे, जहां उनकी मुलाकात देश के सबसे बड़े दुश्मन और वांटेड अपराधी दाऊद इब्राहीम से हुई थी.
अपनी किताब में ऋषि कपूर ने बताया कि ‘फोन पर दाऊद ने मेरा स्वागत किया और कहा कि किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बता दें. उसने मुझे अपने घर भी बुलाया. मैं इस सब से भौचक्का था.’
हालांकि इसके साथ ही वह बताते हैं कि उन्हें इसमें बुराई नहीं लगी और उन्होंने दाऊद का न्योता स्वीकार कर लिया.
खरीदा था बेस्ट ऐक्टर का अवार्ड :
ऋषि कपूर ने खुल्लमखुल्ला में कुबूल किया कि एक बार उन्होंने अवॉर्ड के लिए पैसे दिए थे. उन्होंने कहा कि बात 1973 की है. फिल्म जंजीर में बेहतरीन अभिनय के लिए अमिताभ बच्चन उनके कॉम्पटीटर थे. उन्होंने कहा कि 70 के दशक की शुरुआत में अमिताभ ने सारे ट्रेन्ड्स बदल दिए. तब उन्होंने एक बार बेस्ट ऐक्टर का अवार्ड पाने के लिए 30 हजार रुपये दिए थे.
अमिताभ ने बदला फिल्मों का ट्रेन्ड :
ऋषि कपूर ने कहा, ‘अमिताभ बच्चन एक महान एक्टर हैं, 1970 की शुरुआत में उन्होंने फिल्मों का ट्रेन्ड ही बदल दिया, एक्शन की शुरुआत ही उन्हीं से होती है, उस वक्त उन्होंने कई एक्टर्स को बेकार कर दिया’
उन्होंने कहा, अमिताभ ने अपने साथ काम करने वाले एक्टर्स को कभी किसी बुक या इंटरव्यू में कोई क्रेडिट नहीं दिया, उन्होंने हमेशा अपने डायरेक्टर्स-राइटर्स सलीम-जावेद, मनमोहन देसाई, प्रकाश मेहरा, यश चोपड़ा और रमेश सिप्पी को सराहा. लेकिन ये भी सच है कि उनकी कामयाबी के पीछे उनके को-स्टार्स का भी हाथ था.
उन्होंने अपनी जीवनी में लिखा ‘मैं बताना चाहता हूं कि उन दिनों अमिताभ और मेरे बीच एक अनकहा तनाव रहा करता था. हमने कभी उसे सुलझाने की कोशिश नहीं की और वो खत्म भी हो गया. इसके बाद हमने साथ में ‘अमर अकबर एंथोनी’ की और फिल्म के बाद गहरी दोस्ती हो गई.’
ऐक्शन फिल्म के लिए तड़पे ऋषि कपूर :
ऋषि कपूर लिखते हैं कि ‘मेरे और अमिताभ के मुद्दे को अभी तक खींचा जा रहा है, उस दौर में हर कोई एक्शन सीन करना चाहता था. जाहिर है, सबसे बड़े स्टार को ही ये मिल सकता था, ‘कभी-कभी’ को छोड़ दें (जो एक रोमांटिक फिल्म थी) तो किसी भी मल्टीस्टारर फिल्म में मुझे एक्शन रोल नहीं मिले. राइटर-डायरेक्टर्स ने ऐसे अहम और मजबूत किरदार अमिताभ बच्चन के लिए लिखे. केवल मैं ही नहीं, शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा, धर्मेंद्र और विनोद खन्ना को भी ये नहीं मिला.’
ऋषि कपूर ने बताया कि उन्होंने एक गलत काम किया, उन्होंने बेस्ट एक्टर का अवार्ड खरीदा, ऑटोब्रायोग्राफी ‘खुल्लम खुल्ला’ में भी इसका जिक्र किया है. ऋषि कपूर ने माना कि अवार्ड खरीदने से अमिताभ बच्चन और उनके बीच रिश्तों में ठंडक आ गई थी. क्योंकि अमिताभ बच्चन को लगता था कि वो इसके लिए डिजर्व करते थे. बहरहाल ऋषि कपूर के खुल्लमखुल्ला से बॉलीवुड में कई पुरानी यादें ताजा हो जाएंगी.